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है चुनरी में आन

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)

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नारी के श्रंगार सँग,चुनरी सोहे ख़ूब।
है लज्जा,सुर-ताल-लय,सामाजिकता-दूब॥

रहता चुनरी में सदा,शील और निज आन।
चुनरी में बसते सतत्,अनजाने अरमान॥

चुनरी में गरिमा निहित,मर्यादा का रूप।
जिससे मिलती सभ्यता,को इक नेहिल धूप॥

चुनरी तो वरदान है,चुनरी तो अभिमान।
चुनरी नारी-शान है,चुनरी है इक गान॥

चुनरी तो बलवान है,चुनरी तो उत्थान।
चुनरी तो इक आस है,चुनरी में यशगान॥

चुनरी तो तलवार है,चुनरी तो है तीर।
चुनरी ने जन्मे कई,शौर्यपुरुष,अतिवीर॥

चुनरी में तो माँ रहे,बहना-पत्नी रूप।
चुनरी में देवत्व है,सूरज की है धूप॥

चुनरी दुर्बल है नहीं,नहिं चुनरी बलहीन।
चुनरी कमतर नहिं कभी,और नहीं है दीन॥

चुनरी में इक तेज है,चुनरी बसा प्रताप।
चुनरी शीतल है बहुत,है चुनरी में ताप॥

चुनरी है ममतामयी,है करुणा का सार।
चुनरी में आकर बसा,पूरा ही संसार॥

चुनरी में तो धर्म है,जीवन का है मर्म।
चुनरी में तो सत्य है,है निष्ठामय कर्म॥

चुनरी इक अरमान है,चुनरी इक सम्मान।
चुनरी है इक भावना,चुनरी में है आन॥

चुनरी तो इक धर्म है,चुनरी है संस्कार।
चुनरी में नारीत्व है,मर्यादा साकार॥

चुनरी की हो वंदना,होवे नित्य प्रणाम
समझ सको,तो लो समझ,चुनरी के आयाम॥

परिचय–प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैL आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैL एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंL करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंL गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंL साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य  कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंL  राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।

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