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इसी का नाम ज़िंदगानी

बबीता प्रजापति 
झाँसी (उत्तरप्रदेश)
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लहू बनाम ज़िंदगी…..

गर्भ में शिशु जब होता है,
लहू माँ का सींचता है
जब-जब वो रोता है,
हृदय माँ का भी रोता है
खून के रिश्तों में बंधी,
बड़ी अजब कहानी है
इसी का नाम ज़िंदगानी है।

भाई-बहन के झगड़े में,
मीठी-सी झड़प पुरानी है
इन लहू के रिश्तों ने,
ज़िंदगी की डोर थामी है
इसी का नाम ज़िंदगानी है।
यादें है किस्से हैं मनमानी है,
इसी का नाम ज़िंदगानी है॥

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