कुल पृष्ठ दर्शन : 257

You are currently viewing अपना बना तो सही

अपना बना तो सही

विनोद सोनगीर ‘कवि विनोद’
इन्दौर(मध्यप्रदेश)
***************************************************************
चुरा लूं तेरे रंजो-गम सारे,
तू मेरे पास आ तो सही।

छुपा लूं तुझे दिल में अपने,
तू मुझसे नज़रें मिला तो सही।

किस बात ने कर रखा है परेशान तुझे,
तू इसका पता मुझे बता तो सही।

ये इश्क है बिल्कुल भी आसान नहीं,
तू दिल्लगी अपनी मुझे दिखा तो सही।

थाह गहरी ही सही समंदर की लेकिन,
तू अपनी प्यास बुझा तो सही।

टकरा जा अंधेरों के पहरों से,
तू इतना हौंसला अपना दिखा तो सही।

सुलझा दूं उलझनें सारी तेरी,
तू उलझनें अपनी बता तो सही।

है यकीं मेरी बात पर तुझे,
इसका यकीं मुझे दिला तो सही।

मैं रहगुजर रहनुमा ही सही,
तू मुझे अपना मेहमां बना तो सही।

लाख कांटे हैं इश्क़ की राह में ,
तू फूल महके से बिछा तो सही।

हो जाएं ‘विनोद’ भी फना तुझपे,
तू अपना उसे बना तो सही॥

परिचय-विनोद कुमार सोनगीर का निवास मध्यप्रदेश के इन्दौर जिले में है,पर स्थाई निवास मंडलेश्वर में है। साहित्यिक उपनाम-कवि विनोद से पहचाने जाने वाले श्री सोनगीर की जन्म तारीख १ जुलाई १९८२ है। इनको भाषा ज्ञान-हिंदी व इंग्लिश का है। बी.एससी.(जीव विज्ञान),एम.ए.(समाज शास्त्र),एम.एससी.(रसायन) सहित डी.एड. और सी.टी.ई.टी. तक शिक्षित होकर कार्य क्षेत्र में शासकीय सेवक (शिक्षक)हैं। आप सामाजिक गतिविधि के अन्तर्गत पर्यावरण सुरक्षा,बालिका शिक्षा हेतु सदैव तत्पर हैं। कवि विनोद की लेखन विधि-गीत,ग़ज़ल, लेख और कविता है। कईं पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाओं को स्थान मिला है। प्राप्त सम्मान तथा पुरस्कार निमित्त आपको शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने हेतु व संगठन हित में सक्रिय भूमिका हेतु कर्मचारी संगठन से सम्मान,शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट सेवा हेतु ग्राम पंचायत उमरीखेड़ा द्वारा सम्मान आदि हासिल हुए हैं। विशेष उपलब्धि-उत्कृष्ट कार्यों के लिए सम्मानित होना है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-लेखन के माध्यम से सभी का शुद्ध मनोरंजन करना,व समाज को नई दिशा प्रदान करना है। आपकी नजर में पसंदीदा हिंदी लेखक सभी हैं,तो प्रेरणापुंज-डॉ.राहत इंदौरी हैं। इनकी विशेषज्ञता-श्रृंगार,हास्य, व्यंग्य और वीर रस पर लेखन की है। देश और हिंदी भाषा के प्रति अपने विचार-“देश में हिंदी साहित्य के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए हिंदी भाषा का प्रचार प्रसार अत्यंत आवश्यक है। हिंदी भाषा को इंग्लिश से बचाने के लिए साहित्य का प्रसार अत्यंत आवश्यक है।” कवि विनोद के जीवन का लक्ष्य-श्रेष्ठ कार्य सतत करते रहना है।

Leave a Reply