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अपनी बात दबंगता और सलीके से रखती थी सुषमाजी

 

संदीप सृजन
उज्जैन (मध्यप्रदेश) 
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“एक समय था जब अटलबिहारी वाजपेयी की भाषण शैली के कारण मैं उनके सामने बोलने में संकोच करता था,और आज सुषमा स्वराज भी मेरे अंदर वाजपेयी की तरह ही ‘कॉम्प्लेक्स’ पैदा करती हैं।” यह बात भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने २०१२ में पार्टी के राष्ट्रीय परिषद के अधिवेशन में समापन भाषण के दौरान कही थी।

निःसंदेह जब सुषमाजी बोलती थी तो सुनने वाले सिर्फ सुनते ही रहते थे। उनकी प्रखर वक्तव्य शैली और राष्ट्रहित चिंतन बेजोड़ था। संसद से लेकर संयुक्त राष्ट्र तक में भारत का पक्ष रखने वाले उनके भाषण यादगार रहे हैं। २०१५ में विदेश मंत्री की हैसियत से न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र की महासभा के अधिवेशन को संबोधित करते हुए सुषमाजी ने जब पाकिस्तान को लताड़ लगाई,तो पूरी दुनिया का ध्यान उन्हीं पर केन्द्रित हो गया थाl अपने भाषण में उन्होंने पाकिस्तान को खुलेआम आतंकवाद की फैक्ट्री कहकर संबोधित किया था और उनके इस भाषण की पूरे विश्व में चर्चा हुई थी। उन्होंने अपने भाषण में कहा था कि-“पाक जो खुद को आतंकवाद से पीड़ित बताता है,दरअसल झूठ बोल रहा है। जब तक सीमापार से आतंक की खेती बंद नहीं होगी,भारत-पाकिस्तान के बीच बातचीत नहीं हो सकती। पाकिस्तान आतंकवाद की फैक्ट्री बन गया है,भारत ने उसके २-२ आतंकवादी जिंदा पकड़े हैं। भारत हर विवाद का हल वार्ता के जरिए चाहता है किंतु वार्ता और आतंकवाद साथ-साथ नहीं चल सकते।”

२९ सितंबर २०१८ को संयुक्त राष्ट्र में सुषमा स्वराज ने अपने भाषण की शुरुआत बेहद ही दमदार और शानदार तरीके से की थी। उन्होंने कहा कि-“वसुधैव कुटुंबकम् की बुनियाद है परिवार,और परिवार प्यार से चलता है,व्यापार से नहीं। परिवार मोह से चलता है,लोभ से नहीं। परिवार संवेदना से चलता है,ईर्ष्या से नहीं। परिवार सुलह से चलता है,कलह से नहीं। इसीलिए हमें (संयुक्त राष्ट्र) को परिवार के सिद्धांत पर चलाना होगा।” अटलबिहारी वाजपेयी जब पहली बार देश के प्रधानमंत्री बने,और उनकी सरकार ज्यादा समय चल नहीं पाई। नई सरकार ने लोकसभा में विश्वासमत का प्रस्ताव रखा। इस प्रस्ताव के विरोध में सुषमा स्वराज ने जो भाषण दिया,उसे आज भी याद किया जाता है। सुषमाजी ने उस दौरान सदन में कहा था-“धर्मनिरपेक्षता का बाना पहनकर,हम पर साम्प्रदायिकता का आरोप लगाकर,सब लोग एक हो गए हैं। अध्यक्ष जी हम साम्प्रदायिक हैं,हाँ हम साम्प्रदायिक हैं, क्योंकि हम वंदेमातरम गाने की वकालत करते हैं। हम साम्प्रदायिक हैं,क्योंकि हम राष्ट्रीय ध्वज के सम्मान के लिए लड़ते हैं।” २०१४ से २१०९ तक यह विदेश मंत्री रहीं और दुनियाभर में भारतीयों को उन्होंने एक ट्वीट पर मदद मुहैया कराई। उन्होंने स्वास्थ्य कारणों के चलते २०१९ का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया था। विदेशों में भी अपने भाषण का लोहा मनवा चुकी सुषमाजी भारत की संसद में भी अपनी बात दबंगता और सलीके के साथ रखती थी। उन्हें उनकी सौम्य मुद्रा के साथ-साथ विलक्षण वाकपटुता,हैरतअंगेज हाजिरजवाबी के लिए जाना जाता रहा है। वे अपनी मधुर आवाज में जब प्रभावी हिंदी बोलती तो संसद भवन हो या संयुक्त राष्ट्र,हर जगह जैसे छा जाती थी। कई मुद्दों पर वह आक्रामक जरूर होती थी,बावजूद इसके वह शब्दों के चयन में कभी गलती नहीं करती थी। सुषमाजी को भाषा की मर्यादा में ओजस्विता से परीपूर्ण भाषण देने के लिए हमेशा याद किया जाएगा।