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बाप की चिंता

सुषमा मलिक 
रोहतक (हरियाणा)

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देख कर करतूत जमाने की,मेरा खून ख़ौल उठता है,
कैसे पैदा करूँ मैं बेटी,एक बेबस बाप बोल उठता हैl

अगर दुनिया में आयी मेरी बेटी,ये दरिंदे जीने ना देंगे,
ना सुख से रह पाएगी वो,घूंट पानी का पीने ना देंगेl

कहां छिपाऊँगा उस कली को,कहाँ-कहाँ साथ जाऊंगा,
ना जाने कब कहां पर,उसे मैं किस हाल में पाऊंगाl

घर में बचा लूंगा मैं पर,उसे शाला में भी तो जाना है,
छोड़ आऊंगा अगर मैं,उसे वापस घर भी तो आना हैl

ट्यूशन,कॉलेज,मेले,बाजार,कहाँ-कहाँ से उसे रोकूंगा,
कैसे जियेगी वो परी अगर,कदम-कदम पर मैं टोकूँगाl

हर जगह पर खड़े भेड़िए,नोंच खाने को बदन उसका,
पहले ही उजाड़ा जाता है,महका नहीं चमन जिसकाl

बलात्कार के बाद भी,उनके अंग-अंग काटे जाते हैं,
बेटी कैसे लाऊँ मलिक,दिल में ये सवाल आते हैंl

देखकर ये भयानक मंजर,मेरा पल-पल दिल टूटता है,
कैसे पैदा करूँ मैं बेटी,एक बेबस बाप बोल उठता हैll

परिचय : रोहतक निवासी सुषमा मलिक की जन्मतिथि-२३ अक्टूबर १९८१ तथा जन्म स्थान-रोहतक (हरियाणा)है। आपका निवास रोहतक स्थित शास्त्री नगर में है। एम.सी.ए. तक शिक्षित सुषमा मलिक का कार्यक्षेत्र विद्यालय में प्रयोगशाला सहायक और एक संस्थान में लेखापाल का है। आप सामाजिक क्षेत्र में कम्प्यूटर प्रयोगशाला संघ की महिला प्रदेशाध्यक्ष हैं। लेखन विधा-कविता,लेख और ग़ज़ल है। विविध अखबारों और पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं निरन्तर आती रहती हैं। उत्तर प्रदेश की प्रमुख साहित्यिक संस्था सहित अन्य संस्थाओं ने भी आपको सम्मानित किया है। आपकी दृष्टि से लेखन का उद्देश्य-अपनी आवाज से जनता को जागरूक करना है।

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