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वक़्त

सुषमा मलिक 
रोहतक (हरियाणा)

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मंजिल भी मिलेगी तुझे एक दिन,
तू हौंसलों की उड़ान बनाता चल
क्योंकि,वक़्त बदलते वक्त नहीं लगता।

खिलेगी मुस्कुराहट भी तेरी एक दिन,
तू अपनी हँसी से सबको हँसाता चल क्योंकि,वक़्त बदलते वक्त नहीं लगता।

थिरक उठेगा तेरी जिंदगी का साज,
तू घुँघरुओं की झंकार बजाता चल
क्योंकि,वक़्त बदलते वक्त नहीं लगता।

चमकेंगे जुगनू जरूर तेरी आँखों में,
बस तू इस हर मोड़ को चमकाता चल
क्योंकि,वक़्त बदलते वक्त नहीं लगता।

होगी हर खुशी जल्द तेरी झोली में,
तू बस मेहनत के रंग बिखराता चल
क्योंकि,वक़्त बदलते वक्त नहीं लगता।

खिल उठेगा एक दिन तेरा ये उपवन,
तू मेहनत के बस फूल खिलाता चल
क्योंकि,वक़्त बदलते वक्त नहीं लगता।

लिखा है जो ‘मलिक’ की कलम ने,
‘अदब’ से इस पर ध्यान लगाता चल…।
क्योंकि,वक़्त बदलते वक्त नहीं लगता॥

परिचय : रोहतक निवासी सुषमा मलिक की जन्मतिथि-२३ अक्टूबर १९८१ तथा जन्म स्थान-रोहतक (हरियाणा)है। आपका निवास रोहतक स्थित शास्त्री नगर में है। एम.सी.ए. तक शिक्षित सुषमा मलिक का कार्यक्षेत्र विद्यालय में प्रयोगशाला सहायक और एक संस्थान में लेखापाल का है। आप सामाजिक क्षेत्र में कम्प्यूटर प्रयोगशाला संघ की महिला प्रदेशाध्यक्ष हैं। लेखन विधा-कविता,लेख और ग़ज़ल है। विविध अखबारों और पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं निरन्तर आती रहती हैं। उत्तर प्रदेश की प्रमुख साहित्यिक संस्था सहित अन्य संस्थाओं ने भी आपको सम्मानित किया है। आपकी दृष्टि से लेखन का उद्देश्य-अपनी आवाज से जनता को जागरूक करना है।

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