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सम्बन्ध-बंधनों से परे

अल्पा मेहता ‘एक एहसास’
राजकोट (गुजरात)
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विश्व सौहार्द दिवस स्पर्धा विशेष….

सम्बन्ध शब्द का क्या अर्थ होता है ?… ‘सम्यक्’ का अर्थ पूरी तरह से,चारों ओर से अथवा परिपूर्ण। अर्थात सम्बन्ध शब्द का अर्थ होता है, ‘चारों ओर से बंधन’,’सब प्रकार से बंधन’ अथवा ‘परिपूर्ण बंधन।’
संसार में माता-पिता,भाई-बहन,जीजा,दामाद,बाप-बेटी,माँ-बेटी आदि) को हम लोग सम्बन्धी (रिश्तेदार,नातेदार) कहते हैं।
हर संबंध मन व भाव से संबद्ध है- वैयक्तिक स्तर से लेकर वैश्विक स्तर तक। इन सभी संबंधों को दायित्व बोध की मथानी से मथने पर स्नेह, आत्मीयता व माधुर्य का नवनीत प्राप्त होता है, जिससे आचरण में सहजता,सहिष्णुता,सामंजस्य व क्षमाशीलता आदि गुण विकसित होते हैं।
हम सब सामाजिक व्यवस्था में जीते हुए पहचान प्राप्त करते हैं,जहां पारस्परिक संबंधों का विशेष महत्व होता है। उस असीम सत्ता ने हमें एक परिवार-परिवेश में उत्पन्न किया,स्वजन व परिजन दिए,विशेष परिस्थितियों में जीते हुए अपनी जीवन-यात्रा का निर्वाह करने का आदेश दिया है,तो क्या इनको नकारना ईश्वर के आदेश की अवहेलना नहीं है ? संबंधों के संदर्भ में दायित्व पूर्ति के समय बुद्धि का अत्यधिक प्रयोग प्रतिकूल परिस्थिति को उत्पन्न करता है। अहम् की उत्पत्ति के कारण अनुकूलन या सामंजस्य का अभाव सामने आता है और तनाव की स्थिति प्रकट होती है। तनाववश हम स्वयं को आहत,अकेला व असुरक्षित महसूस करने लगते हैं और दायित्व बोध को भूलकर अधिकार प्राप्ति की लड़ाई में शामिल होने से स्वयं को रोक नहीं पाते हैं।
संबंधों के प्रति दायित्व बोध को नकारने से नकारात्मक विचार,बौद्धिक अशांति और शारीरिक अस्वस्थता के साथ-साथ विचार-विनिमय व सेवा-सम्मान जैसे सद्गुणों का ह्रास होता है। कुछ प्रश्न ऐसे हैं,जिन पर शांत मन से विचार करके संबंधों के प्रति दायित्व की क्षमता को ऊर्जावान बनाया जा सकता है। क्या बड़ों का अपमान करके अपना सम्मान बचाया जा सकता है ? क्या हमें अपने व्यवहार से दूसरों को कष्ट देने का अधिकार प्राप्त है ? क्या ईश्वराधीन विषयों-हानि,लाभ,जीवन,मरण,यश-अपयश में हस्तक्षेप करके अथवा दूसरे को हानि पहुंचाकर सुखी हुआ जा सकता है ? क्या स्वार्थ की पूर्ति के लिए ही संबंधों का महत्व है ? इन सभी प्रश्नों का केन्द्रीय समाधान है- प्रत्येक संबंध के उत्तम भावों की स्वीकार्यता व उनकी मधुर-प्रतीति। अधिकार-प्राप्ति के स्थान पर दायित्व बोध की गरिमा का सम्मान। ऐसा होने पर पारस्परिक विश्वास व सहयोग का संबल प्राप्त करके जीवन को सच्चे अर्थों में पूर्ण किया जा सकता है-
सम्बन्ध की सीमा होती है,
सम्बन्ध असीम होता है।
हर बंधन में बंधे हो,
समजो तो मुक्त होता है।

हृदय से स्वीकारें तो,
अनमोल रिश्ता है।
दिखावे के हों तो,
तो खाक ये रिश्ता है।

न लालच लोभ हो इसमें,
तो बड़ी दूर तक साथ देता है।
गर मन में खोट हो,
तो बीच डगर विखुट हो जाता है।

सम्बन्ध बंधनों का मोहताज है,
ये सभी की मान्यता है।
समझे गर हृदय से,
तो हर बंधनों से परे है।

समझता यहाँ कोई नहीं,
रिश्तों का मापदंड।
एक-दूसरे के भाव को,
तोलता है वजन कांटे पर।

सच तो यही है,
कि ना कोई मापदंड है।
भाव-भाव भिन्न हो सके,
पर भावों का तोल नहीं है।

सबसे प्यारा सम्बन्ध,
बेनाम जिसको कहते हैं।
बिन शर्ती होता है जो,
हर शर्त से परे होता है॥’

परिचय-अल्पा मेहता का जन्म स्थल राजकोट (गुजरात)है। वर्तमान में राजकोट में ही बसेरा है। इनकी शिक्षा बी.कॉम. है। लेखन में ‘एक एहसास’ उपनाम से पहचान रखने वाली श्रीमती मेहता की लेखन प्रवृत्ति काव्य,वार्ता व आलेख है। आपकी किताब अल्पा ‘एहसास’ प्रकाशित हो चुकी है,तो कई रचना दैनिक अख़बार एवं पत्रिकाओं सहित अंतरजाल पर भी हैं। वर्ल्ड बुक ऑफ़ टेलेंट रिकॉर्ड सहित मोस्ट संवेदनशील कवियित्री,गोल्ड स्टार बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड एवं इंडि जीनियस वर्ल्ड रिकॉर्ड आदि सम्मान आपकी उपलब्धि हैं। आपको गायन का शौक है।

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