हरीश बिष्ट
अल्मोड़ा (उत्तराखण्ड)
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कारगिल विजय दिवस स्पर्धा विशेष……….
सलामत हैं सभी हम आज,शहीदों की बदौलत से,
सब कुछ जिन्होंने अपना,वतन पे कुर्बान कर दिया।
कोटि-कोटि नमन शहीदों को मेरा,
आज उनकी बदौलत जी रहे हम सभी
सोचा ना समझा हँसते-हँसते चल दिये,
मौत की राह पर इस वतन के लिए
न डर,थी कोई न माथे पर शिकन,
बांध सर पे कफन तिरंगे का,चल दियेl
कतरा-कतरा लहु का बहाते गये,
जान अपनी वतन पर लुटाते गये
रुके नहीं कदम आगे बढ़ते रहे,
धूल दुश्मन को सभी वो चटाते गये
जुदाई का अपनों से गम था बहुत,
हर गम को खुशी से दबाते गयेl
बूढ़े माँ-बाप थे बीबी-बच्चे भी थे,
छोड़ रोता उन्हें जहाँ से चल दिये
धरती माँ के लिए फर्ज अपना सभी,
जान कुर्बान कर वो निभाते गये
मिट गये खुद,मगर आँच आने न दी,
सीने दुश्मन के खंजर से चीरते गयेl
जीत होती है क्या मौत से हारकर,
देशवासी को अपने वो बताते गये
कर लो नमन उनको भी याद कर,
देशहित में शगुन जो प्राणों का दे गयेl
होगी श्रद्धांजलि उनको सच्ची यही,
उनके नाम का दिया हम जलाते रहेंll
परिचय- हरीश बिष्ट की जन्मतारीख ३० जुलाई १९८० है। वर्तमान में मोतीबाग(नई दिल्ली) में रहते हैं, जबकि स्थाई निवास ग्राम-मटेला (रानीखेत),जिला-अल्मोड़ा (उत्तराखण्ड)है। एम.ए.(अर्थशास्त्र) तक शिक्षित श्री बिष्ट का कार्यक्षेत्र-नौकरी है। लेखन विधा-कविता एवं गीत है। सांझा काव्य संग्रह में आपकी रचनाएं आ चुकी हैं तो पत्रिकाओं में भी रचनाएं प्रकाशित हुई है। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार में सांझा काव्य संग्रहों सहित रामेश्वर दयाल दुबे साहित्य सम्मान,आखिल भारतीय साहित्य परिषद से सर्वश्रेष्ठ सहभागिता के लिए सम्मान पत्र, ‘भारत विभूति’,’काव्य अरुणोदय’ आदि हैं। आपकी विशेष उपलब्धि-साझा काव्य संग्रह-अर्पण, अभिव्यक्ति,नवचेतना,अरुणोदय और भावकलश है। पसंदीदा लेखक-जयशंकर प्रसाद को मानने वाले श्री बिष्ट के लिए प्रेरणा पुंज-आनन्द वर्धन शर्मा हैं। विशेषज्ञता-साहित्यिक रचनाओं का सृजन ही विशेषता है एवं उसी ओर प्रयासरत हैं। देश और हिन्दी भाषा के प्रति आपके विचार-“अपने-आपको सौभाग्यशाली मानता हूँ कि मैंने इस पावन धरती पर जन्म लिया, जिसके लिए सदैव इस मातृभूमि का ऋणी रहूँगा। हिन्दी भाषा,हमारी मातृ-भाषा है,और मुझे गर्व है अपनी इस मातृ-भाषा पर। हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार के तहत नवसृजन करते हुए आपना योगदान देने के लिए सदैव प्रयासरत हूँ।