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आखिर वास्तविक पीड़ितों को कब मिलेगा अधिकार ?

अमल श्रीवास्तव 
बिलासपुर(छत्तीसगढ़)

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देश को आजाद करवाने में मंगल पांडे से लेकर पं. मदन मोहन मालवीय तक, सुभाष चंद्र बोस से लेकर बाल-पाल-लाल तक सवर्ण समाज के क्रांतिकारियों, बलिदानियों के योगदान से पूरा इतिहास भरा पड़ा है, लेकिन आजादी के बाद से आज तक मत बैंक की कुटिल नीति के चलते धर्म निरपेक्षता की आड़ में मुस्लिम समुदाय एवं सामाजिक समरसता के नाम से समाज को दलित, पिछड़े और अगड़े वर्ग में बाँटकर समुदाय विशेष के तुष्टिकरण की प्रक्रिया आज तक बदस्तूर जारी है। ऐसे में सवर्ण समाज पूरी तरह से दोयम दर्जे के नागरिक के रूप में जीवन यापन करने को मजबूर है।

जातिगत आरक्षण की व्यवस्था मात्र १० वर्ष के लिए लागू की गई थी, उसके कारण कुछ गिने-चुने व्यक्ति और उनके रिश्तेदार तथा परिवार के लोग ही पीढ़ी दर पीढ़ी लाभ उठा रहे हैं। वास्तविक वंचित, शोषित, पीड़ित तो आज भी रोज कमाना रोज पकाना की स्थिति में ही जी रहे हैं। कुछ चतुर चालाक लोग चुनाव के समय उन्हें सब्जबाग दिखा कर उनसे मत लेने और ताली बजवाने का ही काम करते हैं, परंतु सभी राजनीतिक दल इसका समर्थन करते हैं और हर दस साल इसे आगे बढ़ाते जा रहे हैं।
वर्तमान समय में सवर्णों को छोड़कर आरक्षित-अल्पसंख्यक वर्ग सभी को संविधान में आरक्षण के साथ ही कुछ विशेष सुविधाएं प्राप्त हैं।
वे हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के झाँसे में नहीं आते, इसलिए भारतीय राजनीति में संवैधानिक रूप से सत्ता पर अपनी पकड़ मजबूत कर चुके हैं। अपने समुदाय के फायदे के लिए मनचाहा कानून बनवा रहे हैं, संविधान में संशोधन करवा रहे हैं। आवश्यक पात्रता न होते हुए भी आयु सीमा में छूट, नौकरियों में आरक्षण, पदोन्नति में भी आरक्षण आदि इसके प्रत्यक्ष उदाहरण हैं।
आज इस देश के कानून में एससी-एसटी वर्ग का हर व्यक्ति कानूनी तौर पर भगवान है। उसने किसी पर भी झूठा आरोप लगा दिया कि उसने उसका जातिसूचक अपमान किया है तो, वह प्रतिष्ठित सवर्ण या ओबीसी जेल के अंदर होगा। कुछ वर्षों के न्यायालीन फैसलों को देखने से यह स्पष्ट है कि, ऐसे लगभग ८५ फीसदी मुकदमे झूठे होते हैं।
दूसरी तरफ समाज में दशकों से चली आ रही भाईचारे की स्वस्थ परंपरा में दरार बढ़ती जा रही है, और समाज में धीरे-धीरे चिंगारी सुलग रही है।
मत बैंक की कुटिल चाल के लिए तुष्टिकरण की नीति ने सवर्ण समाज से उच्च शिक्षा, नौकरियां, पदोन्नति, सरकारी ठेकेदारी, मुखिया, विधायक, सांसद, मंत्री, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री इत्यादि के अधिकांश पद घोषित-अघोषित आरक्षण के कारण छीन लिए गए हैं।
कितने बड़े आश्चर्य की बात है कि सत्तर सालों से आरक्षण का लाभ लेने के बाद भी एक भी आरक्षित परिवार ‘सामान्य’ श्रेणी में वर्गीकृत नहीं हो पाया है। इससे बड़ी असमानता और क्या होगी कि, १ एकड़ की जोत वाला सामान्य वर्ग के किसान का बेटा अगर अपनी मेहनत के बल पर किसी प्रतियोगी परीक्षा में ८० फीसदी से ज्यादा अंक लाता है, तो भी एक दलित वर्ग के मंत्री के बेटे को, ४० फीसदी अंक लाने पर भी प्राथमिकता दी जाएगी। खास बात यह कि, यदि आपने जरा भी अपनी पीड़ा का इजहार किया, तो देशद्रोही, धर्म द्रोही आदि घोषित कर दिए जाएंगे।
आज सवर्ण समाज को ऐसे किसी भी झांसे में न आते हुए देश की एकता, अखंडता और समाज की वास्तविक समरसता के लिए कमर कसते हुए उठ कर खड़े होने की महती आवश्यकता है। अब सवर्ण समाज को अपने दोयम दर्जे की नागरिकता पर आवाज बुलंद करने की जरूरत है। इस मुहिम में असली वंचित, शोषित, पीड़ित दलित वर्ग के लोगों को भी जोड़ना है, जो सत्तर सालों से चालाक नेताओं द्वारा छले जा रहे हैं। सवर्ण समाज को समानता के अधिकार के लिए सभी क्षेत्रों में संगठित होकर प्रयास करना ही पड़ेगा।

परिचय–प्रख्यात कवि,वक्ता,गायत्री साधक,ज्योतिषी और समाजसेवी `एस्ट्रो अमल` का वास्तविक नाम डॉ. शिव शरण श्रीवास्तव हैL `अमल` इनका उप नाम है,जो साहित्यकार मित्रों ने दिया हैL जन्म म.प्र. के कटनी जिले के ग्राम करेला में हुआ हैL गणित विषय से बी.एस-सी.करने के बाद ३ विषयों (हिंदी,संस्कृत,राजनीति शास्त्र)में एम.ए. किया हैL आपने रामायण विशारद की भी उपाधि गीता प्रेस से प्राप्त की है,तथा दिल्ली से पत्रकारिता एवं आलेख संरचना का प्रशिक्षण भी लिया हैL भारतीय संगीत में भी आपकी रूचि है,तथा प्रयाग संगीत समिति से संगीत में डिप्लोमा प्राप्त किया हैL इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकर्स मुंबई द्वारा आयोजित परीक्षा `सीएआईआईबी` भी उत्तीर्ण की है। ज्योतिष में पी-एच.डी (स्वर्ण पदक)प्राप्त की हैL शतरंज के अच्छे खिलाड़ी `अमल` विभिन्न कवि सम्मलेनों,गोष्ठियों आदि में भाग लेते रहते हैंL मंच संचालन में महारथी अमल की लेखन विधा-गद्य एवं पद्य हैL देश की नामी पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएँ प्रकाशित होती रही हैंL रचनाओं का प्रसारण आकाशवाणी केन्द्रों से भी हो चुका हैL आप विभिन्न धार्मिक,सामाजिक,साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़े हैंL आप अखिल विश्व गायत्री परिवार के सक्रिय कार्यकर्ता हैं। बचपन से प्रतियोगिताओं में भाग लेकर पुरस्कृत होते रहे हैं,परन्तु महत्वपूर्ण उपलब्धि प्रथम काव्य संकलन ‘अंगारों की चुनौती’ का म.प्र. हिंदी साहित्य सम्मलेन द्वारा प्रकाशन एवं प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री सुन्दरलाल पटवा द्वारा उसका विमोचन एवं छत्तीसगढ़ के प्रथम राज्यपाल दिनेश नंदन सहाय द्वारा सम्मानित किया जाना है। देश की विभिन्न सामाजिक और साहित्यक संस्थाओं द्वारा प्रदत्त आपको सम्मानों की संख्या शतक से भी ज्यादा है। आप बैंक विभिन्न पदों पर काम कर चुके हैं। बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ. अमल वर्तमान में बिलासपुर (छग) में रहकर ज्योतिष,साहित्य एवं अन्य माध्यमों से समाजसेवा कर रहे हैं। लेखन आपका शौक है।

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