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आज़ादी के मतवाले थे

संजय सिंह ‘चन्दन’
धनबाद (झारखंड )
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नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जयंती (२३ जनवरी) विशेष…

धरती हो या आकाश, नेताजी सुभाष,
आज़ादी का दमदार प्रयास वीर सुभाष
जनता का अटूट विश्वास, ‘जय हिंद’ नारा खास,
ब्रिटिश चाटुकारों ने जिन्हें किया निराश।

मन में जिनका था अहसास, बिना क्रांति सब बकवास
वंदे मातरम्, जय हिंद, सैनिक गणवेश,
नेताजी सुभाष के विदित ये अंतिम अवशेष
‘कदम से कदम बढ़ाए जा’, नेताजी का यह आदेश।

विद्रोह तू बढ़ाए जा, जज्बा रहे हमारा है ये देश,
कोशिश नहीं तू युद्ध कर, हारेंगे ब्रिटिश कमोबेश
माँ प्रभावती पुत्र, जानकी नाथ के सपूत, दूत स्वदेश,
आज़ाद हिंद फौज, फॉरवर्ड ब्लॉक के अति विशेष।

योद्धा वो बड़े निराले, आज़ादी के मतवाले थे,
सेना जापान, जर्मनी में एकजुट कर नेता वो हिम्मत वाले थे
क्रांतिवीर, जज्बा वाला, भारत के सच्चे रखवाले थे,
देशभक्त वो वीर बड़े, मेरे देश के डमरू भाला थे।

तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हे दूंगा आज़ादी,
जागो भारतवासी, रोको देश की बर्बादी
फैलती गई दुनिया सुभाष संग जंगियों की आबादी,
देश-विदेश तक चल पड़ी, नेताजी सुभाष की आँधी।

भारत में घर-घर पहन रहे थे, सभी अंग वस्त्र में खादी,
खादी में भी राज छिपा था स्वदेश प्रेम आज़ादी
लेकिन यह अब भूलना होगा चरखे से मिली आज़ादी,
छीन-झपटकर, लड़कर, अपने दम ली आज़ादी।

जर्मनी में ‘आज़ाद हिंद रेडियो’ स्थापन बना इतिहास,
बस युद्ध, बस युद्ध, नेताजी
का अटूट विश्वास
नेताजी जीवित हैं हर शख्स मे अब भी मेरा दृढ़ विश्वास,
अब भी मेरा दृढ़ विश्वास,
कहीं और नहीं, हैं मन के आस-पास नेताजी सुभाष॥

परिचय-सिंदरी (धनबाद, झारखंड) में १४ दिसम्बर १९६४ को जन्मे संजय सिंह का वर्तमान बसेरा सबलपुर (धनबाद) और स्थाई बक्सर (बिहार) में है। लेखन में ‘चन्दन’ नाम से पहचान रखने वाले संजय सिंह को भोजपुरी, संस्कृत, हिन्दी, खोरठा, बांग्ला, बनारसी सहित अंग्रेजी भाषा का भी ज्ञान है। इनकी शिक्षा-बीएससी, एमबीए (पावर प्रबंधन), डिप्लोमा (इलेक्ट्रिकल) व नेशनल अप्रेंटिसशिप (इंस्ट्रूमेंटेशन डिसिप्लिन) है। अवकाश प्राप्त (महाप्रबंधक) होकर आप सामाजिक कार्यकर्ता, रक्तदाता हैं तो साहित्यिक गतिविधि में भी सक्रियता से राष्ट्रीय संस्थापक-सामाजिक साहित्यिक जागरुकता मंच मुंबई (पंजी.), संस्थापक-संरक्षक-तानराज संगीत विद्यापीठ (नोएडा) एवं राष्ट्रीय प्रवक्ता के.सी.एन. क्लब (मुंबई) सहित अन्य संस्थाओं से बतौर पदाधिकारी जुड़ें हैं, साथ ही पत्रकारिता का वर्षों का अनुभव है। आपकी लेखन विधा-गीत, कविता, कहानी, लघु कथा व लेख है। बहुत-सी रचनाएँ पत्र-पत्रिका में प्रकाशित हैं, साथ ही रचनाएँ ४ साझा संग्रह में हैं। ‘स्वर संग्राम’ (५१ कविताएँ) पुस्तक भी प्रकाशित है। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार में आपको
महात्मा बुद्ध सम्मान-२०२३, शब्द श्री सम्मान-२०२३, पर्यावरण रक्षक सम्मान-२०२३, श्रेष्ठ कवि सम्मान-२० २३ सहित अन्य सम्मान हैं तो विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में कई बार उपस्थिति, देश के नामचीन स्मृति शेष कवियों (मुंशी प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, भारतेंदु हरिश्चंद्र आदि) के जन्म स्थान जाकर उनकी पांडुलिपि अंश प्राप्त करना है। श्री सिंह की लेखनी का उद्देश्य-हिन्दी भाषा का उत्थान, राष्ट्रीय विचारों को जगाना, हिन्दी भाषा, राष्ट्र भाषा के साथ वास्तविक राजभाषा का दर्जा पाए, गरीबों की वेदना, संवेदना और अन्याय व भ्रष्टाचार पर प्रहार है। मुंशी प्रेमचंद, अटल बिहारी वाजपेयी, जयशंकर प्रसाद, भारतेंदु हरिश्चंद्र, महादेवी वर्मा, रामधारी सिंह दिनकर, किशन चंदर और पं. दीनदयाल उपाध्याय को पसंदीदा हिन्दी लेखक मानने वाले संजय सिंह ‘चंदन’ के लिए प्रेरणापुंज- पूज्य पिता जी, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, महात्मा गॉंधी, भगत सिंह, लोकनायक जय प्रकाश, बाला साहेब ठाकरे और डॉ. हेडगेवार हैं। आपकी विशेषज्ञता-साहित्य (काव्य), मंच संचालन और वक्ता की है। जीवन लक्ष्य-ईमानदारी, राष्ट्र भक्ति, अन्याय पर हर स्तर से प्रहार है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“अपने ही देश में पराई है हिन्दी, अंग्रेजी से अंतिम लड़ाई है हिन्दी, अंग्रेजी ने तलवे दबाई है हिन्दी, मेरे ही दिल की अंगड़ाई है हिन्दी।”