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आज अवध में…

दुर्गेश कुमार मेघवाल ‘डी.कुमार ‘अजस्र’
बूंदी (राजस्थान)
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आज अवध में नई सुबह है,
खत्म हुआ संघर्ष वो सारा
राम की महिमा राम ही जाने,
राम का है, संसार ये प्यारा।

राम-नाम सब धर्म से ऊपर,
भारत की रग-रग में समाया
वेद से लेकर ग्रंथ सभी जो,
संस्कृत से संस्कृति में आया
राम-नाम सब मूल समाकर,
भारत समृद्ध फिर, देश हमारा।
आज अवध में…॥

भारत की आस्था का सूरज,
अब चमका, लिए नया उजाला
अंधकार-रजनियाँ, अब सब मिट गया,
जो था गहन भयंकर काला
न्याय-अन्याय की,सीमा से ऊपर,
आस्था का विश्वास हमारा।
आज अवध में…॥

सरकारों का आना-जाना,
राम का वही वनवास पुराना
राम-आस्था, सब राज से ऊपर,
मन में राम-विश्वास जमाना
राज की नीति, राज ही जाने,
न्याय से जीता, जो हक था सारा।
आज अवध में…॥

भोर-भंगिमा आज नई है,
आज अयोध्या चमक गई है
राम का वैभव राम का साया,
राम-महिमा की जीत हुई है
तट सरयू के लोग हैं आए,
सुबह-सुबह, ‘अजस्र’ नजारा।
आज अवध में…॥

भारत विविध-विविध समगामी,
सब जन का विश्वास समाया
भारत जन सब भाई-भाई यहाँ,
सब जन अपने, नहीं कोई पराया
अमन चैन यह बना रहे अब,
संकल्प लिया, जन-भारत वो न्यारा।
आज अवध में…॥

आदर्श राम को दुनिया माने,
धर्म सीमाओं से आगे बढ़कर
‘अजस्र’ भविष्य की नींव जमाएं,
सब-जन को संग-संग और सह-कर
वनवास राम का खत्म करें सब,
आशीष मिले सबको ही सहारा।

आज अवध में नई सुबह है,
खत्म हुआ संघर्ष वो सारा।
राम की महिमा राम ही जाने,
राम का है, संसार ये प्यारा॥

परिचय-हिन्दी-साहित्य के क्षेत्र में डी. कुमार ‘अजस्र’ के नाम से पहचाने जाने वाले दुर्गेश कुमार मेघवाल की जन्म तारीख १७ मई १९७७ तथा स्थान बूंदी (राजस्थान) है। आप सम्प्रति से राज. उच्च माध्य. विद्यालय (गुढ़ा नाथावतान, बून्दी) में हिंदी प्राध्यापक (व्याख्याता) के पद पर सेवाएं दे रहे हैं। छोटी काशी के रूप में विश्वविख्यात बूंदी शहर में आवासित श्री मेघवाल स्नातक और स्नातकोत्तर तक शिक्षा लेने के बाद इसी को कार्यक्षेत्र बनाते हुए सामाजिक एवं साहित्यिक क्षेत्र विविध रुप में जागरूकता फैला रहे हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य और आलेख है, और इसके ज़रिए ही सामाजिक संचार माध्यम पर सक्रिय हैं। आपकी लेखनी को हिन्दी साहित्य साधना के निमित्त बाबू बालमुकुंद गुप्त हिंदी साहित्य सेवा सम्मान-२०१७, भाषा सारथी सम्मान-२०१८ सहित दिल्ली साहित्य रत्न सम्मान-२०१९, साहित्य रत्न अलंकरण-२०१९ और साधक सम्मान-२०२० आदि सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। हिंदीभाषा डॉटकॉम के साथ ही कई साहित्यिक मंचों द्वारा आयोजित स्पर्धाओं में भी प्रथम, द्वितीय, तृतीय एवं सांत्वना पुरस्कार पा चुके हैं। ‘देश की आभा’ एकल काव्य संग्रह के साथ ही २० से अधिक सांझा काव्य संग्रहों में आपकी रचनाएँ सम्मिलित हैं। प्रादेशिक-स्तर के अनेक पत्र-पत्रिकाओं में भी रचनाएं स्थान पा चुकी हैं। आपके लेखन का उद्देश्य-हिन्दी साहित्य एवं नागरी लिपि की सेवा, मन की सन्तुष्टि, यश प्राप्ति और हो सके तो अर्थ की प्राप्ति भी है।

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