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आज का मानव

शशांक मिश्र ‘भारती’
शाहजहांपुर(उत्तरप्रदेश)

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आज का मानव

अपने स्वार्थों में इतना फंस चुका है,

अपना करके हिंसा

आगे बढ़ रहा हैl

दिखता नहीं कुछ

निःशेष है अपनी इच्छाओं की पूर्ति,

रहें स्थिर संतुलन प्राणी जगत

अथवा

मानवीय संस्कृति का,

उसको चाहिए

मात्र अपनी इच्छाओं की पूर्ति।

जिसके लिए उसने अपने इष्ट मित्रों

बन्धु-बान्धवों

तक को,

उपेक्षित-सा बना दिया है।

किसी की क्या होगी प्रतिक्रिया,

उसे नहीं आतुरता जानने की

और,

न ही विकल उस कल्पना से

जो उसके द्वारा निरन्तर,

असन्तुलित

करने वाले

क्रियाकलापों से उत्पन्न हो जायेगी।

काश!

ये मानव कुछ समझ पाता,

पूर्णतया सोने से पहले जाग पाता

अपने अस्तित्व के लिए,

आवश्यक तत्वों का महत्व पहचान सकता

परि आवरण को

यथार्थ में,

अपने अंर्तमन में उतार पाताll

परिचयशशांक मिश्र का साहित्यिक उपनाम-भारती हैl २६ जून १९७३ में मुरछा(शाहजहांपुर,उप्र)में जन्में हैंl वर्तमान तथा स्थाई पता शाहजहांपुर ही हैl उत्तरप्रदेश निवासी श्री मिश्र का कार्यक्षेत्र-प्रवक्ता(विद्यालय टनकपुर-उत्तराखण्ड)का हैl सामाजिक गतिविधि के लिए हिन्दी भाषा के प्रोत्साहन हेतु आप हर साल छात्र-छात्राओं का सम्मान करते हैं तो अनेक पुस्तकालयों को निःशुल्क पुस्तक वतर्न करने के साथ ही अनेक प्रतियोगिताएं भी कराते हैंl इनकी लेखन विधा-निबन्ध,लेख कविता,ग़ज़ल,बालगीत और क्षणिकायेंआदि है। भाषा ज्ञान-हिन्दी,संस्कृत एवं अंगेजी का रखते हैंl प्रकाशन में अनेक रचनाएं आपके खाते में हैं तो बाल साहित्यांक सहित कविता संकलन,पत्रिका आदि क सम्पादन भी किया है। जून १९९१ से अब तक अनवरत दैनिक-साप्ताहिक-मासिक पत्र-पत्रिकाओं में रचना छप रही हैं। अनुवाद व प्रकाशन में उड़िया व कन्नड़ में उड़िया में २ पुस्तक है। देश-विदेश की करीब ७५ संस्था-संगठनों से आप सम्मानित किए जा चुके हैं। आपके लेखन का उद्देश्य- समाज व देश की दशा पर चिन्तन कर उसको सही दिशा देना है। प्रेरणा पुंज- नन्हें-मुन्ने बच्चे व समाज और देश की क्षुभित प्रक्रियाएं हैं। इनकी रुचि- पर्यावरण व बालकों में सृजन प्रतिभा का विकास करने में है।

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