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आज चलो बच्चा बन जाएं

डॉ.एन.के. सेठी
बांदीकुई (राजस्थान)

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विश्व बाल दिवस स्पर्धा विशेष………..


बचपन की वो हँसी ठिठोली,
मीठी और तुतलाती बोली
परम्परागत खेल निराले,
हँसी-खुशी मिलकर के खेलें
फिर से वो ही पल दोहराएं।
आज चलो बच्चा बन जाएं॥

चिंता-फिक्र नहीं थी कोई,
केवल खाना खेलना होई
कभी रूठना कभी मनाना,
ना ही कोई पराया-अपना
स्मृति में हम फिर खो जाएं।
आज चलो बच्चा बन जाएं॥

बात-बात पर रोज झगड़ना,
फिर से वही सुलह कर लेना
छल कपट का नाम नहीं था,
धन दौलत से काम नहीं था
एक नया इतिहास रचाएं।
आज चलो बच्चा बन जाएं॥

माँ की गोदी जन्नत लगती,
दादी रोज कहानी कहती
नानी लोरी खूब सुनाती,
बचपन की फिर याद है आती
बचपन शोषण मुक्त बनाएं।
आज चलो बच्चा बन जाएं॥

काश हम बच्चे ही रह जाते,
कभी बड़े ना हम बन पाते
कितना भोला और प्यारा था,
बचपन का वो पल न्यारा था
आओ उसको फिर दोहराएं।
आज चलो बच्चा बन जाएं॥

परिचय-पेशे से अर्द्ध सरकारी महाविद्यालय में प्राचार्य (बांदीकुई,दौसा)डॉ.एन.के. सेठी का बांदीकुई में ही स्थाई निवास है। १९७३ में १५ जुलाई को बांदीकुई (राजस्थान) में जन्मे डॉ.सेठी की शैक्षिक योग्यता एम.ए.(संस्कृत,हिंदी),एम.फिल.,पीएच-डी., साहित्याचार्य,शिक्षा शास्त्री और बीजेएमसी है। शोध निदेशक डॉ.सेठी लगभग ५० राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में विभिन्न विषयों पर शोध-पत्र वाचन कर चुके हैं,तो कई शोध पत्रों का अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशन हुआ है। पाठ्यक्रमों पर आधारित लगभग १५ व्याख्यात्मक पुस्तक प्रकाशित हैं। कविताएं विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। आपका साहित्यिक उपनाम ‘नवनीत’ है। हिंदी और संस्कृत भाषा का ज्ञान रखने वाले राजस्थानवासी डॉ. सेठी सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत कई सामाजिक संगठनों से जुड़ाव रखे हुए हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,गीत तथा आलेख है। आपकी विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में शोध-पत्र का वाचन है। लेखनी का उद्देश्य-स्वान्तः सुखाय है। मुंशी प्रेमचंद पसंदीदा हिन्दी लेखक हैं तो प्रेरणा पुंज-स्वामी विवेकानंद जी हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-
‘गर्व हमें है अपने ऊपर,
हम हिन्द के वासी हैं।
जाति धर्म चाहे कोई हो 
हम सब हिंदी भाषी हैं॥’

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