एम.एल. नत्थानी
रायपुर(छत्तीसगढ़)
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सृष्टि के विकास क्रम में,
आधी आबादी रहती है
पूर्वा ग्रहों से मुक्त होकर,
खुद आजादी से रहती है।
निज निर्णय में सक्षम हो,
आत्म विश्वास भरपूर है
मर्यादा की परिधि में ही,
सदा से रहती मजबूर है।
आधी सृष्टि पूरी दृष्टि की,
विलक्षण-सी मिसाल है
संघर्षों में तपकर खुद ही,
कृतित्व भी बेमिसाल है।
सृजन की धुरी बनकर,
अस्तित्व भी महकता है।
वंश बेल की डोर सजाती,
व्यक्तित्व भी दमकता है॥