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आपदा में नहीं,मानवता में अवसर तलाशें

रोहित मिश्र
प्रयागराज(उत्तरप्रदेश)
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आज पूरा विश्व ‘कोरोना’ महामारी से त्रस्त है।महामारी में जहाँ लोग एक-दूसरे की मदद करते हुए दिखाई दे रहे हैं,वही कुछ लोग इसमें भी अवसर तलाश रहे हैं। कहने का आशय यह है कि महामारी में कुछ लोगों में मानवता मर-सी गर्ई है। इस महामारी के समय कालाबाजारी,जमाखोरी व मुनाफाखोरी चरम पर है। यानि कुछ लोग आपदा में अवसर तलाशते रहते हैं।
आपदा में अवसर तलाशने वाले अनाज और दैनिक आवश्यकता के समानों में ही नहीं,बल्कि दवाओं और जीवन रक्षक उपकरणों की जमाखोरी और कालाबाजारी करके मुनाफाखोरी करते हैं। इस कोरोना काल में कुछ एंबुलेंस वालों ने कुछ ही दूरी तक मरीजों को पहुँचाने के लिए २०-२५ हजार रुपए तक लेते पकड़े गए हैं। इस महामारी मे मुनाफे के लिए कुछ कंपनियां इस्तेमाल हो चुकी पीपीई किट को दोबारा बेचती हुई पकड़ी गई हैं। आपदा में अवसर की तलाश मुठ्ठीभर लोग ही नहीं करते हैं, बल्कि बड़े-बड़े देश भी करते है।
अमेरिका ने भारत के टीके में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल पर इसलिए रोक लगा दी थी,ताकि भारत अमेरिकी टीका खरीदने के लिए बाध्य हो जाए।
दूसरा उदाहरण कि,कोरोना की शुरुआत चीन से हुई। जब कोरोना चीन के एक प्रांत में फैल चुका था। तब मानवता के नाते इटली ने दवाई,पीपीई किट,मुखपट्टी व जीवन रक्षक यंत्र चीन को भेंट की।जब कोरोना पूरे विश्व में फैल गया तो इटली में भी बुरी तरह फैला,तब चीन ने इटली के दिए पीपीई किट,मुख पट्टी आदि को इटली को ही बेचने का प्रस्ताव दिया। दूसरी ओर भारत ने आपदा में अवसर ढूँढने की बजाए अपने पड़ोसी,मित्र और गरीब देशों को टीके देकर मानवता-धर्म का पालन किया।
महामारी के या ऐसे विपदा के समय एक-दूसरे का विश्वासपात्र बनना जरूरी है,न कि विश्वासघात करना।
आपदा में अवसर की तलाश करने वाले बिल्कुल भी विश्वास के लायक नहीं होते हैं। ऐसे कठिन समय मानवता की मिसाल भी कम नहीं मिली है। इस समय कोई पलायन कर रहे लोगों को भोजन करा रहा था,तो कोई जरूरी चीजें घर-घर बाँट रहा था।
आदमी अपने कर्मों से ही विश्वास जगा सकता है, और कर्मों से विश्वास को डिगा भी सकता है। जिन समाज सेवकों को ऐसे समय पूरा देश आशा भरी निगाह से देख रहा हो,उनके यहाँ से कालाबाजारी के प्राणवायु सिलेंडर मिलना दुर्भाग्यपूर्ण ही नहीं, बल्कि लांछनीय है।
आपदा में अवसर या लाभ को नहीं,बल्कि भाईचारे, मानवता की मिसाल नि:स्वार्थ सेवा,सहयोग की भावना आदि के रुप में अपने-आपमें पेश करना चाहिए,तभी एक-दूसरे में विश्वास बढ़ेगा।

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