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`आयुष्मान भारत` की गड़बड़ियों पर पहरा आवश्यक

ललित गर्ग
दिल्ली

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आज सरकारी अस्पतालों में जहां चिकित्सा सुविधाओं एवं दक्ष चिकित्सकों का अभाव होता है,वहीं निजी अस्पतालों में आज के भगवान रूपी चिकित्सक एवं अस्पताल मालिक मात्र अपने पेशा के दौरान वसूली व लूटपाट ही जानते हैं। उनके लिये मरीजों की ठीक तरीके से देखभाल कर इलाज करना प्राथमिकता नहीं होती,उन पर धन वसूलने का नशा इस कदर हावी होता है कि,वह उन्हें सच्चा सेवक के स्थान पर शैतान बना देता है। केन्द्र सरकार की आयुष्मान भारत योजना आम व्यक्ति को बेहतर तरीके से असाध्य बीमारियों की चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिये प्रारंभ की गयी थी, लेकिन इस बहुउद्देश्यीय योजना को भी पलीता लगाने में कोई असर नहीं छोड़ी गयी है,पर इस योजना में गड़बड़ी एवं धोखाधड़ी करने वालों के खिलाफ जिस सख्ती से कार्रवाई की जा रही है,वह अनूठी एवं कारगर है,सरकार की सक्रियता एवं जागरूकता की परिचायक है।
नेशनल हेल्थ अथॉरिटी (एनएचए) की एंटी फ्रॉड यूनिट द्वारा उत्तर प्रदेश,उत्तराखंड और झारखंड सहित कई राज्यों में आयुष्मान भारत योजना क तहत चल रही धोखाधड़ी,गड़बड़ी एवं भ्रष्टाचार के हैरतअंगेज मामले पकड़े गए हैं। इस योजना में हो रही गड़बड़ियों को दूर करने के लिए कई कदम उठाये जा रहे हैं। धोखाधड़ी कर पैसा बनाने वाले अस्पतालों के नाम ‘नेम एंड शेम’ की श्रेणी में डालकर सार्वजनिक करने का निर्णय लिया गया है। ऐसे अस्पतालों के नाम वेबसाइट पर डाले जाएंगे। ये अस्पताल सिर्फ आयुष्मान भारत योजना से ही नहीं हटाए जाएंगे,बल्कि बाकी सरकारी योजनाओं और निजी बीमा के पैनल से भी इन्हें बाहर किया जाएगा। इस योजना में धोखाधड़ी के १२०० मामले अब तक पकड़ में आए हैं और ३७६ अस्पताल जांच के दायरे में हैं। ९७ अस्पतालों को अब तक पैनल से हटा दिया गया है और ६ के खिलाफ एफआईआर तक दर्ज हुई हैं। अस्पतालों पर कार्रवाई करना बेहद जरूरी था,क्योंकि पिछले कुछ समय से अनेक अस्पतालों ने इस योजना का मखौल बना दिया था। सरकार की जागरूकता एवं सख्त कार्रवाई से न केवल आयुष्मान भारत योजना से आम व्यक्ति को चिकित्सा का वास्तविक लाभ मिल सकेगा,बल्कि चिकित्सा क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार एवं गड़बड़ियों को दूर किया जा सकेगा,जो शर्मनाक ही नहीं बल्कि चिकित्सकीय पेशे के लिए बहुत ही घृणित है।
आयुष्मान योजना की सबसे बड़ी चुनौती यही है कि वास्तविक लाभार्थियों तक इसका लाभ पहुंचे,लेकिन इसकी सबसे बड़ी बाधा भी यही है कि योजना का ढांचा बहुत जटिल एवं पेचीदा है। इससे जुड़ी जानकारियां साधारण आदमी तक पहुंच नहीं पातीं। इसका फायदा उठाते हुए अस्पताल एवं चिकित्सक बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी करते हैं। सरकार को चाहिए कि वह आयुष्मान योजना की प्रक्रिया को सहज एवं सरल बनाये। अब जैसे इसका लाभ प्राप्त करने के लिए जरूरी है कि लाभार्थी का नाम आयुष्मान भारत योजना की सूची में हो। इसमें अपना नाम देखने के दो तरीके हैं-एक तो यह कि इसकी वेबसाइट पर जाकर अपना नाम देखें या फिर एक खास हेल्पलाइन पर पता करें। यह काम शहरी पढ़ा-लिखा वर्ग तो कर सकता है पर अनपढ़,ग्रामीण और गरीब वर्ग के लिए यह काम आसान नहीं है। जिनके पास इंटरनेट-फोन नहीं है,उनके लिए यह पता करना ही कठिन है कि उनका नाम है भी है या नहीं। इसमें जो सूची बनी है,उसमें भी कई लोगों के नाम छूटे हुए हैं। उसमें नाम जुड़वाना भी एक गरीब आदमी के लिए आसान नहीं है। इन विसंगतियों एवं जटिलताओं को दूर किया जाना जरूरी है।
यह योजना मुख्यतः समाज के एकदम कमजोर वर्ग के लिए बनाई गई है लेकिन इस बात का ध्यान ही नहीं रखा गया है कि दबा-कुचला, अनपढ़ एवं ग्रामीण वर्ग इसका इस्तेमाल कैसे करे। वैसे इस तरह की तमाम सरकारी योजनाओं की यही विसंगति होती है। इन्हें ग्रामीण एवं अशिक्षित लोगों के दृष्टिकोण से बनाना एवं उनकी प्रक्रिया का सरलीकरण जरूरी है,तभी वे जमीन पर ढंग से उतर पाएंगी,अन्यथा उसका फायदा समर्थ तबका उठा लेगा,जैसा कि आयुष्मान में भी हो रहा है,जबकि ‘आयुष्मान भारत’ दुनिया की सबसे बड़ी आम आदमी से जुड़ी चिकित्सा योजना है। ५० करोड़ लोगों को ५ लाख तक का स्वास्थ्य बीमा देने वाली यह दुनिया की अपनी तरह की सबसे बड़ी योजना है। आर्थिक सहायता देने के साथ-साथ इस योजना के अन्तर्गत आपके घर के पास ही उत्तम इलाज की सुविधा देने का लक्ष्य निश्चित किया गया था। यह योजना भाजपा सरकार और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का एक महत्वपूर्ण मिशन एवं दूरदर्शी सोच है,लेकिन योजना के प्रारंभ में इसमें भ्रष्टाचार,गड़बड़ी एवं धोखाधड़ी एक गंभीर चुनौती एवं चिन्ता का विषय है। लेकिन सरकार के साथ-साथ ऐसी जनकल्याणकारी योजनाओं के लिये आम व्यक्ति को भी जागरूक होना होगा। हम स्वर्ग को जमीन पर नहीं उतार सकते,पर बुराइयों से तो लड़ अवश्य सकते हैं,यह लोक भावना जागे,तभी भारत आयुष्मान बनेगा। तभी चिकित्सा जगत में व्याप्त अनियमितताओं एवं धृणित आर्थिक दृष्टिकोणों पर नियंत्रण स्थापित होगा। चिकित्सकों एवं अस्पतालों को नैतिक बनने की जिम्मेदारी निभानी ही होगी,तभी वे चिकित्सा के पेशे को शिखर दें पाएंगे,तभी आयुष्मान भारत योजना वास्तविक उद्देश्यों को हासिल कर सकेंगीl

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