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आओ मिलकर बनाएं नया घर

डॉ.सोना सिंह 
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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आओ मिलकर बनाएं घर,
चिड़िया का छोटा-सा ताना-बाना सुंदर
आओ मिलकर बनाएं नया घर,
घर नदी का कल-कल बहता अविरल
बनाएं घर पहाड़ का।

उच्च शिखर से अधिक अटल,
आओ मिलकर बनाएं नया घर
हवा का सर..सर..सर..सर,
करता सनन-सनन…
आओ मिलकर बनाएं नया घर।

नया बनाएं घर,जंगल का हरा-भरा गुप्त घना,
आओ मिलकर बनाएं घर नया छोटी चिड़िया का
चर्चा करता कलरव घर बनाएं झरने का,
कल-कल बहता अविरल घर बनाए
अनगढ़ बचपन का किलोल करता मस्ती भरा घर।

बनाएं मंदिर-मस्जिद का,गूंज अस्तित्व की जहां,
आओ मिलकर बनाएं नया घर
हमारे-तुम्हारे धर्म की भेदभाव रहित मान्यता हो,
आओ मिलकर बनाएं घर नया घनघोर।

जंगल का शीशम,महुआ,सागौन,रेशम हो जहां,
आओ मिलकर बनाएं घर फूलों-कलियों का खुशबू से भरी वादी।
रंगों से भरी वादी सर्वत्र हो जहां…
आओ मिलकर बनाएं घर॥

परिचय-डॉ.सोना सिंह का बसेरा मध्यप्रदेश के इंदौर में हैl संप्रति से आप देवी अहिल्या विश्वविद्यालय,इन्दौर के पत्रकारिता एवं जनसंचार अध्ययनशाला में व्याख्याता के रूप में कार्यरत हैंl यहां की विभागाध्यक्ष डॉ.सिंह की रचनाओं का इंदौर से दिल्ली तक की पत्रिकाओं एवं दैनिक पत्रों में समय-समय पर आलेख,कविता तथा शोध पत्रों के रूप में प्रकाशन हो चुका है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के भारतेन्दु हरिशचंद्र राष्ट्रीय पुरस्कार से आप सम्मानित (पुस्तक-विकास संचार एवं अवधारणाएँ) हैं। आपने यूनीसेफ के लिए पुस्तक `जिंदगी जिंदाबाद` का सम्पादन भी किया है। व्यवहारिक और प्रायोगिक पत्रकारिता की पक्षधर,शोध निदेशक एवं व्यवहार कुशल डॉ.सिंह के ४० से अधिक शोध पत्रों का प्रकाशन,२०० समीक्षा आलेख तथा ५ पुस्तकों का लेखन-प्रकाशन हुआ है। जीवन की अनुभूतियों सहित प्रेम,सौंदर्य को देखना,उन सभी को पाठकों तक पहुंचाना और अपने स्तर पर साहित्य और भाषा की सेवा करना ही आपकी लेखनी का उद्देश्य है।

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