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आसमानी

सारिका त्रिपाठी
लखनऊ(उत्तरप्रदेश)
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चखना चाहती हूँ,
नीले आसमाँ को।

क्या वो भी होता होगा!
सागर की तरह खारा।

लहरें कभी मचलती होंगी वहाँ भी,
चाँद के तट पर बैठकर,
छूना चाहती हूँ लहरों को।

कोई संगीत तो वहाँ भी,
जरूर गुनगुनाता होगा।
नर्म रेत पर कोई ,
अपने प्रेयस का नाम लिखता होगा।

अपनी उदासियों को सौंपता होगा,
जाती हुई लहरों को।
जो छुप जाती होगी चाँद के पीछे कहीं।

यादों को लपेटकर चाँदनी में,
सीप का मोती बनाता होगा कोई।

खुद ही डूब जाऊँ
सागर को बाँहों में समेटकर,
नीले आसमाँ में कहीं।
या चखकर बन जाऊँ आसमानी।

हाँ,एक बार चखना चाहती हूँ,
नीले आसमाँ को॥

परिचय-सारिका त्रिपाठी का निवास उत्तर प्रदेश राज्य के नवाबी शहर लखनऊ में है। यही स्थाई निवास है। इनकी शिक्षा रसायन शास्त्र में स्नातक है। जन्मतिथि १९ नवम्बर और जन्म स्थान-धनबाद है। आपका कार्यक्षेत्र- रेडियो जॉकी का है। यह पटकथा लिखती हैं तो रेडियो जॉकी का दायित्व भी निभा रही हैं। सामाजिक गतिविधि के तहत आप झुग्गी बस्ती में बच्चों को पढ़ाती हैं। आपके लेखों का प्रकाशन अखबार में हुआ है। लेखनी का उद्देश्य- हिन्दी भाषा अच्छी लगना और भावनाओं को शब्दों का रूप देना अच्छा लगता है। कलम से सामाजिक बदलाव लाना भी आपकी कोशिश है। भाषा ज्ञान में हिन्दी,अंग्रेजी, बंगला और भोजपुरी है। सारिका जी की रुचि-संगीत एवं रचनाएँ लिखना है।

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