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ईर्ष्या

गोपाल मोहन मिश्र
दरभंगा (बिहार)
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ईर्ष्या वहाँ नहीं होती है जहाँ प्रेम होता है,
हृदय जब प्रेम से भरा हुआ होता है
जिस हृदय में प्रेम नहीं होता है,
उस हृदय को ईर्ष्या अपना घर बना लेती है।
इंसान के पास सब-कुछ होते हुए भी,
उसे सुख से जीने नहीं देती है
चैन की नींद को छीन लेती है,
इंसान मर जाता है, लेकिन ईर्ष्या नहीं मरती है।
समय बर्बाद करके तुम अपने संग खिलवाड़ करोगे,
किसी से ईर्ष्या करके तुम उसका क्या बिगाड़ लोगे
इंसान पल भर में कितना बदल जाता है,
जब वह ईर्ष्या की आग में जल जाता है।
आग से जल जाना उतना तकलीफ नहीं देता है,
जितनी तकलीफ़ एक ईर्ष्यालु व्यक्ति पाता है
तुम ईर्ष्या की आग में जल रहे हो,
अगर दूसरों को दुःख में देखकर खुश हो रहे हो।
ईर्ष्या जब मन में बसती है,
तो सारी खुशियाँ धीरे-धीरे मरती है
जैसे लोहे को जंग-वैसे ही,
ईर्ष्या मनुष्य को नष्ट करती है।
भले ही ईर्ष्यालु मर जाए,
लेकिन ईर्ष्या कभी नहीं मरती है
बुद्धिहीन ईर्ष्यावश दुःख पाते हैं,
बुद्धिमान ऐसे लोगों पर तरस खाते हैं।
जब हम एक कुढ़न में पलते हैं,
तो खुद ही कुंठा में ढलते हैं
अगर कोई हमसे आगे बढ़ जाए,
तो देखकर उसको जलते हैं।
उसके जैसा बनने की नहीं सोचते हैं लोग,
सफल व्यक्ति से बेवजह ईर्ष्या करते हैं लोग।
ईर्ष्यालु व्यक्ति का मन-मस्तिष्क,
कभी भी सुकून और शांति नहीं पाता है॥

परिचय–गोपाल मोहन मिश्र की जन्म तारीख २८ जुलाई १९५५ व जन्म स्थान मुजफ्फरपुर (बिहार)है। वर्तमान में आप लहेरिया सराय (दरभंगा,बिहार)में निवासरत हैं,जबकि स्थाई पता-ग्राम सोती सलेमपुर(जिला समस्तीपुर-बिहार)है। हिंदी,मैथिली तथा अंग्रेजी भाषा का ज्ञान रखने वाले बिहारवासी श्री मिश्र की पूर्ण शिक्षा स्नातकोत्तर है। कार्यक्षेत्र में सेवानिवृत्त(बैंक प्रबंधक)हैं। आपकी लेखन विधा-कहानी, लघुकथा,लेख एवं कविता है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित हुई हैं। ब्लॉग पर भी भावनाएँ व्यक्त करने वाले श्री मिश्र की लेखनी का उद्देश्य-साहित्य सेवा है। इनके लिए पसंदीदा हिन्दी लेखक- फणीश्वरनाथ ‘रेणु’,रामधारी सिंह ‘दिनकर’, गोपाल दास ‘नीरज’, हरिवंश राय बच्चन एवं प्रेरणापुंज-फणीश्वर नाथ ‘रेणु’ हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शानदार नेतृत्व में बहुमुखी विकास और दुनियाभर में पहचान बना रहा है I हिंदी,हिंदू,हिंदुस्तान की प्रबल धारा बह रही हैI”

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