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उठा लो नाज़ इस तिरंगे का

ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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उठा लो नाज तुम भी आज इस न्यारे तिरंगे का,
झुका कर शीश गाओ गीत इस प्यारे तिरंगे का।

कभी झुकने न पाये शान मिल कर आ शपथ लेलें,
सदा करते रहें गुणगान हम सारे तिरंगे का।

करें मिलकर सभी वो काम हम झंडा रहे ऊंचा,
ये दुनिया में सदैव बुलंद हो तारे तिरंगे का।

यही ईमान हो अपना यही मजहब हमारा हो,
कभी अब हो न हिस्सा और बँटवारा तिरंगे का।

रहें हम एक बनकर नेक इसकी छाँव की तल में,
हिफाजत में खड़ा जैसे है सहारा तिरंगे का।

वतन पे जाँ लुटाने रंग भगवा जोश जज्बा दे,
सफेदी शांति दे पैगाम हरकारे तिरंगे का।

हरा खुशहाल हरियाली दिखाता मुल्क जन्नत है,
नज़ारा खूब नीला बीच जाँ वारे तिरंगे का॥

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।