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तिरंगा क्या कहता होगा ?

डॉ.एन.के. सेठी
बांदीकुई (राजस्थान)

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मरे मिटे थे जिसके खातिर,
कितनों ने त्याग किया होगा।
राजनीति में स्वार्थ देखकर,
तिरंगा क्या कहता होगा॥

कितनी माँ-बहनों ने अपने,
लाल कर दिए थे न्यौछावर।
कितने जन आहूत हुए थे,
स्वतंत्रता की बलिवेदी पर॥
आजादी पाने की खातिर,
कितनों ने जान गंवाई है।
कितने ही झूले फांसी पर,
सीनों पर गोली खाई है॥
मातृभूमि के बंधन काटे,
कितने ही कष्टों को भोगा।
राजनीति में स्वार्थ देखकर,
तिरंगा क्या कहता होगा…॥

भ्रष्टाचारी मौज कर रहे,
सेवाभावी बहुत लाचार।
झूठ और बेईमानी का,
राजनीति में खूब प्रसार॥
याद रहे अधिकार सभी को,
कर्त्तव्यों को भुला दिया है।
सत्ता के मद में पागल है,
राष्ट्र हितों को त्याग दिया है॥
बगुला भगत बने फिरते हैं,
नेताजी पहन श्वेत चोगा।
राजनीति में स्वार्थ देखकर,
तिरंगा क्या कहता होगा…॥

जाति-धर्म के नाम देश में,
ये आपस में लड़वाते हैं।
झूठ बोलकर जनता से ये,
सत्ता सुख भी पा जाते हैं॥
भोली-भाली जनता का ये,
नित्य निरंतर करते शोषण।
अपनी जेबें भरी रहे बस,
हो मात्र परिवार का पोषण॥
जनता संभली नहीं यदि तो,
देश गलत हाथों में होगा।
राजनीति में स्वार्थ देखकर,
तिरंगा क्या कहता होगा…॥

परिवारवाद के चक्कर में,
नेता कुछ भी कर जाते हैं।
देश भले ही जाय गर्त में,
ये सत्ता का सुख पाते हैं॥
इन्हें नहीं चिंता कोई भी,
जनता चाहे मरे भूख से।
राजनीति करते लाशों पर,
करते कुछ भी ये रसूख से॥
देश बचाना है यदि हमको,
त्याग स्वार्थ का करना होगा।
राजनीति में स्वार्थ देखकर,
तिरंगा क्या कहता होगा…॥

फिक्र देश की नहीं किसी को,
सभी स्वार्थ में लिप्त हुए हैं।
करे देश की चिंता जो भी,
वही आज मजबूर हुए हैं॥
सींची जिसकी जड़ें रक्त से,
उसको ही अब काट रहे हैं।
जाति-धर्म के नाम देश को,
आपस में ही बांट रहे हैं॥
आजादी किसने दिलवाई,
सत्ता का सुख किसने भोगा।
राजनीति में स्वार्थ देखकर,
तिरंगा क्या कहता होगा…॥

भूल गए झांसी की रानी,
जिसने तलवार उठाई थी।
भूले आज भगत सिंह को,
जिसने भी फांसी खाई थी॥
लाल बाल अरु पाल सरीखे,
सेनानी भारती के लाल।
आजादी के युद्ध क्षेत्र में,
उन्नत किया हिंद का भाल॥
सभी बने थे ईंट नींव की,
अब हक कंगूरों पर होगा।
राजनीति में स्वार्थ देखकर,
तिरंगा क्या कहता होगा…॥

आजाद हिंद फौज बनाकर,
अंग्रेजों की नींव हिला दी।
जय हिंद घोष कर सुभाष ने,
दुश्मन की भी नींद उड़ा दी॥
गांधी, पटेल और नेहरू,
सावरकर जैसे सेनानी।
आजादी की अलख जगाकर,
जन-जन की मुक्ति की ठानी॥
आजादी है अभी अधूरी,
इसको पूरी करना होगा।
राजनीति में स्वार्थ देखकर
तिरंगा क्या कहता होगा…॥

मात भारती की आँखों में,
धार अश्रु की बहती रहती।
देख स्वार्थी वृत्ति जन-जन की,
अपने अंतर में दु:ख सहती॥
देख कपूतों की करतूतें,
माता का आँचल भर आया।
लेकिन सपूत भी जिंदा हैं,
ये देश उन्हीं पर टिक पाया॥
राष्ट्रवाद का शंखनाद अब,
हर जन-मन में भरना होगा।
राजनीति में स्वार्थ देखकर,
तिरंगा क्या कहता होगा…॥

वीर शहीदों की कुर्बानी,
यूँ व्यर्थ नहीं जाने पाए।
मात भारती की आँखों में,
आँसू कभी नहीं आ पाए॥
समता का अधिकार सभी को,
कोई छोटा-बड़ा नहीं हो
राष्ट्र-प्रेम से आगे कोई,
सीना ताने खड़ा नहीं हो॥
आजादी पाई जो हमने,
अक्षुण्ण उसे रखना होगा।
राजनीति में स्वार्थ देखकर,
तिरंगा क्या कहता होगा…॥

आजादी होगी जब पूरी,
हर जन को हक मिल जाएगा।
रहे न कोई भूखा-नंगा,
दौर खुशी का आ पाएगा॥
सभी धर्म जाति जन मिलकर,
करें राष्ट्र का उन्नत भाल।
द्वैष भाव ना रहे कहीं भी,
आजादी का अब अमृत काल॥
जाति-धर्म की दीवारों का,
नाश हमें अब करना होगा।
राजनीति में स्वार्थ देखकर,
तिरंगा क्या कहता होगा…॥

परिचय-पेशे से अर्द्ध सरकारी महाविद्यालय में प्राचार्य (बांदीकुई,दौसा) डॉ.एन.के. सेठी का बांदीकुई में ही स्थाई निवास है। १९७३ में १५ जुलाई को बड़ियाल कलां,जिला दौसा (राजस्थान) में जन्मे नवल सेठी की शैक्षिक योग्यता एम.ए.(संस्कृत,हिंदी),एम.फिल.,पीएच-डी.,साहित्याचार्य, शिक्षा शास्त्री और बीजेएमसी है। शोध निदेशक डॉ.सेठी लगभग ५० राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में विभिन्न विषयों पर शोध-पत्र वाचन कर चुके हैं,तो कई शोध पत्रों का अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशन हुआ है। पाठ्यक्रमों पर आधारित लगभग १५ से अधिक पुस्तक प्रकाशित हैं। आपकी कविताएं विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। हिंदी और संस्कृत भाषा का ज्ञान रखने वाले राजस्थानवासी डॉ. सेठी सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत कई सामाजिक संगठनों से जुड़ाव रखे हुए हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,गीत तथा आलेख है। आपकी विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में शोध-पत्र का वाचन है। लेखनी का उद्देश्य-स्वान्तः सुखाय है। मुंशी प्रेमचंद इनके पसंदीदा हिन्दी लेखक हैं तो प्रेरणा पुंज-स्वामी विवेकानंद जी हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-
‘गर्व हमें है अपने ऊपर,
हम हिन्द के वासी हैं।
जाति धर्म चाहे कोई हो,
हम सब हिंदी भाषी हैं॥’