कुल पृष्ठ दर्शन : 531

You are currently viewing उत्सव

उत्सव

ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
********************************************

आगत सुकुमार मृदुल है, लोचन राजीव मुकुल है,
आये वनवास काट के, दर्शन को जन व्याकुल है।

सज रहाभवन उत्सव-सा, स्वर चहल पहलनव-नव सा,
मदिर-मदिर गुनगुन भुनभुन, मधुप गुंजारता रव-सा।

छत्र स्वस्ति मंत्र तनेंगे, शुभ मंगल गान पढ़ेंगे,
वेद ऋचा उच्चार मधुर, सुख सर्व सुखाय गढ़ेंगे।

स्वागत आवभगत भारी, हो रही बहुत तैयारी,
विविध पाक पटी रसोई, भाँति-भांति के तरकारी।

स्वादिष्ट व्यंजन के रेले, स्वर्ण रजत के भरे तबेले,
खट्टे-मीठे तिते सिठे, चटपटे कडुवे कसैले।

रत्नों के झूमर टांगे, चहुँओर शुभ तोरण बांधे,
मुक्ता से सजी रंगोली, अल्पना सुगढ़ खींच आगे।

ध्वज राजप्रसाद पताका, सर्वोच्च शिखर लहराता,
नैन मिला उदण्ड पवन, गर्वित हर्षित बल खाता।

जलपात्र पुष्प से भरकर, दीप प्रभा झिरी झरकर,
अवली दीपों की लगती, पथ स्वप्नलोक-सी सजकर।

जल झलक रही छवि स्वर्णिम, सुंदर तरु पादप पर्णिम,
नीर उड़ेलती प्रतिमा, बजती रिदिम मधुर रिमझिम।

पत्र पुष्प की रख थाली, अक्षत विविध रंगों वाली,
पँक्तिबद्ध खड़ी अलियाँ, लगती स्वयं चम्पा डाली।

करने शुभ स्वागत वंदन, आमोद प्रमोद रंजन,
आ गयी नृत्यांगनाएं, पायल झनकाती छनछन।

नकबेसर ककनी कंकण, जिससे दमक उठा प्रांगण,
तन रेशम लहँगा चोली, सजी मनोरम आभूषण।

घनीभूत उमंग उमड़ा, छिप गया कहीं जा दुखड़ा,
सजी-धजी कण-कण धरती, बचा नहीं कुछ दृग उजड़ा॥

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।