प्रो. लक्ष्मी यादव
मुम्बई (महाराष्ट्र)
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नानी का घर और छत पर सोना,
चाँद का फूल, अम्बर का बिछौना।
तारों से बातें कर-कर रोना,
छूट गया यह सब, बस रह गया कोना।
छूट गए दोस्त, छूट गया खिलौना,
अब आ गया सबके हाथ मोबाइल।
सबको इंटरनेट है भाता,
बच्चा सबसे अलग हो जाता।
घर, आँगन ओ खेत-खलिहान,
हम उनके हो गए मेहमान।
चकाचौंध की दुनिया में,
आ गए ए.आई. की दुनिया में।
भूल गए सब रिश्ते-नाते,
मोबाइल फोन हैं सबको भाते॥