कुल पृष्ठ दर्शन : 574

You are currently viewing कर्म ही धर्म

कर्म ही धर्म

अनिल कसेर ‘उजाला’ 
राजनांदगांव(छत्तीसगढ़)
******************************************************************************

वाह रे इंसान कहता रहता है-

मेरा है मेरा है,

सोच कर तो देख

क्या तेरा हैl

मिला जो तन,

क्या तेरा कमाया हुआ है धनl

माँ-बाप का है तू अंश,

जो कुछ भी है जीवन में

वो है तेरा कर्म

माँ-बाप,भाई-बहन,

पत्नी,बच्चे न दोस्त-यार

साथ निभायेंगे।

तेरा कर्म ही तेरा धर्म है,

जैसा काम करेगा

वैसा फल पायेगा,

कर ले सद्कर्म

जग में पहचाना जाएगा,

नहीं तो चार कांधा भी

नहीं मिल पायेगा।

रोता आया है दुनिया में,

रोते ही जग से चला जायेगाll

परिचय –अनिल कसेर का निवास छतीसगढ़ के जिला-राजनांदगांव में है। आपका साहित्यिक उपनाम-उजाला है। १० सितम्बर १९७३ को डोंगरगांव (राजनांदगांव)में जन्मे श्री कसेर को हिन्दी,अंग्रेजी और उर्दू भाषा आती है। शिक्षा एम.ए.(हिन्दी)तथा पीजीडीसीए है। कार्यक्षेत्र-स्वयं का व्यवसाय है। इनकी लेखन विधा-कविता,लघुकथा,गीत और ग़ज़ल है। कुछ रचनाएं पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। आपकी लेखनी का उद्देश्य-सच्चाई को उजागर करके कठिनाइयों से लड़ना और हिम्मत देने की कोशिश है। प्रेरणापुंज-देशप्रेम व परिवार है। सबके लिए संदेश-जो भी लिखें,सच्चाई लिखें। श्री कसेर की विशेषज्ञता-बोलचाल की भाषा व सरल हिन्दी में लिखना है।

Leave a Reply