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तू है बड़ी कमाल..

दुर्गेश कुमार मेघवाल ‘डी.कुमार ‘अजस्र’
बूंदी (राजस्थान)
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गुलाबी तेरे होंठों की फड़कन,
बढ़ाए मेरे दिल की ये धड़कन।
कि आँखें काली कजरारी,
ये मारे नैना कटारी।
शर्म से लाल हो रहे गाल,
गोरी तू है बड़ी कमाल।
कि तेरी खुली-खुली अल्कें,
ये तेरी झुकी-झुकी पलकें।
कि नैना चित्त से है चंचल,
मेरे दिल में मची हलचल।
सिंदूरी रंग है बेमिसाल,
पवन में खिलते-उड़ते बाल।
बदन से खुशबू भी महके,
पाने तुझको ये मन बहके।
कि शोखी सूरत में चमके,
बदन तेरा सोने-सा दमके।
रब की रचना का कायल,
हुआ मैं देख तुझे घायल।
कि जो तू बस इक हाँ कह दे,
तो जन्मों रहूं तेरा हो केll

परिचय–आप लेखन क्षेत्र में डी.कुमार’अजस्र’ के नाम से पहचाने जाते हैं। दुर्गेश कुमार मेघवाल की जन्मतिथि-१७ मई १९७७ तथा जन्म स्थान-बूंदी (राजस्थान) है। आप राजस्थान के बूंदी शहर में इंद्रा कॉलोनी में बसे हुए हैं। हिन्दी में स्नातकोत्तर तक शिक्षा लेने के बाद शिक्षा को कार्यक्षेत्र बना रखा है। सामाजिक क्षेत्र में आप शिक्षक के रुप में जागरूकता फैलाते हैं। लेखन विधा-काव्य और आलेख है,और इसके ज़रिए ही सामाजिक मीडिया पर सक्रिय हैं।आपके लेखन का उद्देश्य-नागरी लिपि की सेवा,मन की सन्तुष्टि,यश प्राप्ति और हो सके तो अर्थ प्राप्ति भी है। २०१८ में श्री मेघवाल की रचना का प्रकाशन साझा काव्य संग्रह में हुआ है। आपकी लेखनी को बाबू बालमुकुंद गुप्त साहित्य सेवा सम्मान-२०१७ सहित अन्य से सम्मानित किया गया है|

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