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कहां है मुंसिफ…

प्रदीपमणि तिवारी ध्रुव भोपाली
भोपाल(मध्यप्रदेश)
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वो बेग़ुनाह कहे खुदा तमाम कहां।
कहां है मुंसिफ यार तामझाम कहां।

फ़क़त इरादों में बसा रखा था जो,
हमी हैं साहिब वो मगर ग़ुलाम कहां।

उधार मांगी थी ज़रा-सी साँसें बस,
किया ज़िबाह मगर खुदा-ए-आम कहां।

सहर हुई औ रोज़ शाम शाम हुई,
जो पुरखुलूस कराए दीद शाम कहां

अजान में भी दीद यार कैसे हो,
सवाल आया है खुदा निज़ाम कहां।

न ओढ़ता न बिछा रखा सिराने में,
दुआ करे वो फ़कीर यार आम कहां।

मिलाए रब से पुरखुलूस यार बने,
जो बेसबब ही करे दुआ वो नाम कहां।

परिचय–प्रदीपमणि तिवारी का लेखन में उपनाम `ध्रुव भोपाली` हैl आपका कर्मस्थल और निवास भोपाल (मध्यप्रदेश)हैl आजीविका के लिए आप भोपाल स्थित मंत्रालय में सहायक के रुप में कार्यरत हैंl लेखन में सब रस के कवि-शायर-लेखक होकर हास्य व व्यंग्य पर कलम अधिक चलाते हैंl इनकी ४ पुस्तक प्रकाशित हो चुकी हैंl गत वर्षों में आपने अनेक अंतर्राज्यीय साहित्यिक यात्राएँ की हैं। म.प्र.व अन्य राज्य की संस्थाओं द्वारा आपको अनेक मानद सम्मान दिए जा चुके हैं। बाल साहित्यकार एवं साहित्य के क्षेत्र में चर्चित तथा आकाशवाणी व दूरदर्शन केन्द्र भोपाल से अनुबंधित कलाकार श्री तिवारी गत १२ वर्ष से एक साहित्यिक संस्था का संचालन कर रहे हैं। आप पत्र-पत्रिका के संपादन में रत होकर प्रखर मंच संचालक भी हैं।

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