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कागज की कश्ती

डॉ.अशोक
पटना(बिहार)
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हम-सब कागज़ की कश्ती में सवार होकर,
सफ़र में हैं
आगे बढ़ने की जुगत में हैं,
आशाओं का समन्दर लिए
कल-कल बहती,
निर्मल प्रवाह में है।

सुकून और खुशियाँ,
पाने के लिए बेकरार है
परन्तु नज़र कुछ कहना चाहती है,
मन को आनंदित करने के बहाने बनाने में
आगे बढ़ना चाहती है
यही जीवन की सबसे बड़ी चुनौती है

यहाँ पर हमें पहुंचने पर,
सब कुछ देखना पड़ता है
कागज़ की कश्ती का क्या भरोसा ?
हम क्यों परेशान हैं,
क्या होगा कल यहाँ
कोई नहीं जानता है यहाँ ?
फिर हम-सब क्यों परेशान हैं,
इस अनजान सफ़र में आज़ यहाँ।

ज़िन्दगी का सफर छोटा है,
हमें खुद को सम्भाल कर रखना होगा
कागज़ की कश्ती का,
अन्तिम हश्र समझना होगा॥

परिचय–पटना (बिहार) में निवासरत डॉ.अशोक कुमार शर्मा कविता, लेख, लघुकथा व बाल कहानी लिखते हैं। आप डॉ.अशोक के नाम से रचना कर्म में सक्रिय हैं। शिक्षा एम.काम., एम.ए.(अंग्रेजी, राजनीति शास्त्र, अर्थशास्त्र, हिंदी, इतिहास, लोक प्रशासन व ग्रामीण विकास) सहित एलएलबी, एलएलएम, एमबीए, सीएआईआईबी व पीएच.-डी.(रांची) है। अपर आयुक्त (प्रशासन) पद से सेवानिवृत्त डॉ. शर्मा द्वारा लिखित कई लघुकथा और कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं, जिसमें-क्षितिज, गुलदस्ता, रजनीगंधा (लघुकथा) आदि हैं। अमलतास, शेफालिका, गुलमोहर, चंद्रमलिका, नीलकमल एवं अपराजिता (लघुकथा संग्रह) आदि प्रकाशन में है। ऐसे ही ५ बाल कहानी (पक्षियों की एकता की शक्ति, चिंटू लोमड़ी की चालाकी एवं रियान कौवा की झूठी चाल आदि) प्रकाशित हो चुकी है। आपने सम्मान के रूप में अंतराष्ट्रीय हिंदी साहित्य मंच द्वारा काव्य क्षेत्र में तीसरा, लेखन क्षेत्र में प्रथम, पांचवां व आठवां स्थान प्राप्त किया है। प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर के कई अखबारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं।

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