कुल पृष्ठ दर्शन : 229

You are currently viewing कान्हा

कान्हा

ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
**************************************

हिय हरिणी मुख मोहना,हँसत बदन नँदलाल,
गोपी गौओ सँग फिरे, गोकुल में गोपाल।

करे खेल लीला रचे,धर मानव के रूप,
परमब्रम्ह मानव बने,दानव राक्षस काल।

बेणुतान ही अस्त्र है,शस्त्र रूप अनुरूप,
मारे मोहक तान से,घायल बाल अबाल।

अकुलाए वो अवतरित,देख धरनि के पीर,
भीषण अत्याचार का,काटे-छांटे जाल।

गीता का संदेश दे,करे अनुग्रह लोग,
दिशा सुधारे देश को,जन-जन फिर खुशहाल।

दारुण द्वापर त्रास थे,हर कर के विश्राम,
भोले सज्जन भक्ति दे,दुर्जन को पाताल।

कलयुग फिर बढ़ने लगे,दुष्ट करे संताप,
सर्व नाश करने तुले,आकर लिए सम्हाल।

बनवारी बसुदेव हे,बंशीधर घनश्याम,
नाच मनोहर जग रहे,कृष्णा तेरे ताल।

गिरधर आनँदकन्द हे,मनमोहन हे श्याम,
धर्म पताका फहर रहा,भारत के तुम भाल॥

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।

Leave a Reply