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कामना

बाबूलाल शर्मा
सिकंदरा(राजस्थान)
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रचना शिल्प:यगण १२२×३+ लघु गुरु १२२ १२२ १२२ १२
सुनो वीर फौजी तुम्हारे लिए।
जला दीप घी के सभी ने दिए।
तुम्ही से रहेगी सुरक्षा सखे।
सदाचार सारे हमारे रखें।

बढ़े देश की शान वीरों चढ़ो।
रखो मान-ईमान पंथी बढ़ो।
नहीं भूलना गान पंछी कहे।
वही पातकी पाक पीछे रहे।

सखे भारती आरती धारती।
भला चाहती भावना पालती।
करे काम ऐसे सधे कामना।
सधे साधना मात की भावना।

करामात ऐसीेे हताशा मिटे।
पराधीनता की निराशा कटे।
जहाँ वीरता ही सदा धारती।
अहो भारती माँ सुने आरती।

जपे शारदे माँ कथा पावनी।
कहे भक्त भावे मनो भावनी।
रखो देश मेरा भला ही सदा।
टले घोर ऐसी,बला सर्वदा।

करे देशसेवा बचा बेटियाँ।
पढ़े बेटियाँ तो सरे नेकियाँ।
हमारी सभी से यही बंदगी।
बचाएँ सदा ही धरा जिंदगी।

सुनाएँ कहानी शहीदी यही।
बताएँ जवानी रवानी मही।
करें वंदना ईश आओ अभी।
बढ़े देश आगे सँभालो सभी।

परिचय : बाबूलाल शर्मा का साहित्यिक उपनाम-बौहरा हैl आपकी जन्मतिथि-१ मई १९६९ तथा जन्म स्थान-सिकन्दरा (दौसा) हैl वर्तमान में सिकन्दरा में ही आपका आशियाना हैl राजस्थान राज्य के सिकन्दरा शहर से रिश्ता रखने वाले श्री शर्मा की शिक्षा-एम.ए. और बी.एड. हैl आपका कार्यक्षेत्र-अध्यापन(राजकीय सेवा) का हैl सामाजिक क्षेत्र में आप `बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ` अभियान एवं सामाजिक सुधार के लिए सक्रिय रहते हैंl लेखन विधा में कविता,कहानी तथा उपन्यास लिखते हैंl शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र में आपको पुरस्कृत किया गया हैl आपकी नजर में लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः हैl

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