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काश! ऐसा होता!

उमेशचन्द यादव
बलिया (उत्तरप्रदेश) 
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कोई ना किसी को दु:ख देता,
व्यवहार से मन को हर लेता
नर के गम को नर हर लेता,
सभी हँसते कोई ना रोता…
काश! ऐसा होता,
काश! ऐसा होता।

घर में सबके खुशियाँ होतीं,
हँसती बिटिया ना कभी रोती
माँ की ममता ना दम तोड़ती,
स्त्री का सदा सम्मान होता…
काश! ऐसा होता,
काश! ऐसा होता।

नभ से ऊपर पिता की गरिमा,
सुपुत्र बढ़ाते उनकी महिमा
हर एक का जीवन दूजे के,
जीवन का संदेशा होता…
काश! ऐसा होता,
काश! ऐसा होता।

कहे उमेश सुनो हे बजरंगी,
यहाँ कोई नहीं है मेरा संगी
हे देव आपका भक्त कोई,
सुख-चैन कभी नहीं खोता…
काश! ऐसा होता,
काश! ऐसा होताl

कहे उमेश माया नगरी में,
सबको अपनापन मिलता
जीवन की डगमग नैया के,
नजदीक किनारा होता…
काश! ऐसा होता,
काश! ऐसा होता।

काश! सभी कर्तव्य समझते,
परिवार ना तब टूटने पाता
घर की मर्यादा को तब,
गैर नहीं लूटने पाता…
काश! ऐसा होता,
काश! ऐसा होताll

परिचय-उमेशचन्द यादव की जन्मतिथि २ अगस्त १९८५ और जन्म स्थान चकरा कोल्हुवाँ(वीरपुरा)जिला बलिया है। उत्तर प्रदेश राज्य के निवासी श्री यादव की शैक्षिक योग्यता एम.ए. एवं बी.एड. है। आपका कार्यक्षेत्र-शिक्षण है। आप कविता,लेख एवं कहानी लेखन करते हैं। लेखन का उद्देश्य-सामाजिक जागरूकता फैलाना,हिंदी भाषा का विकास और प्रचार-प्रसार करना है।

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