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शांति निकेतन

डॉ. स्वयंभू शलभ
रक्सौल (बिहार)

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भाग ५…..
श्रीनिकेतन क्षेत्र में स्थित ‘सृजनी शिल्पग्राम’ की चर्चा के बगैर शांति निकेतन यात्रा का संस्मरण पूरा नहीं हो सकता…l भव्य प्रवेश द्वार, सुंदर सड़क और सड़क के दोनों तरफ लहराते हरे-भरे पेड़ परिसर के अंदर प्रवेश करते ही मन मोह लेते हैं…l इस शिल्पग्राम की बनावट एक खूबसूरत कला दीर्घा जैसी है…l यहां विभिन्न प्रदेशों की संस्कृति और परम्पराओं को विभिन्न कलाकृतियों के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है…l खास तौर पर पूर्व और उत्तर पूर्व प्रदेशों के पारम्परिक घरों,वहां की जीवन शैली और वहां के हस्तशिल्प को बड़े ही कलात्मक ढंग से प्रदर्शित किया गया है…l यहां भारत के अलग- अलग हिस्सों में बसी जनजातियों की जीवनशैली का सजीव चित्रण भी देखा जा सकता है…l दीवारों पर सुंदर भित्ती चित्रों के साथ मिट्टी,बाँस,पुआल की झोपड़ियां बनी हैं,वहीं हस्तशिल्प से निर्मित विभिन्न प्रकार के कपड़ों की प्रदर्शनी भी लगाई गई है…l शिल्पग्राम के मैदानी हिस्से के एक भाग में बिरसा मुंडा,सिद्धू कान्हू,तिलका मांझी,लक्ष्मण नायक जैसे स्वतंत्रता सेनानियों की मूर्तियां स्थापित हैं…,वहीं दूसरे भाग में पारम्परिक लोक नृत्य की विभिन्न शैली में निर्मित कुछ कलात्मक मूर्तियों को करीने से सजाकर रखा गया है…l हरे-भरे वृक्षों के बीच ध्यान मुद्रा में बैठे महात्मा बुद्ध की प्रतिमा भी विशेष आकर्षण का केन्द्र है…l इस शिल्पग्राम में कभी-कभी सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किये जाते हैं,और भारतीय कलाकृतियों की प्रदर्शनी भी लगाई जाती है…l ईस्टर्न जोनल कल्चरल सेन्टर द्वारा इस शिल्पग्राम को विकसित किया गया है और सरकारी स्तर पर इसकी निगरानी तथा देखभाल की अच्छी व्यवस्था दिखाई देती है…l सुंदर रमणीक वातावरण में स्थित शिल्पग्राम का स्वरूप देश-विदेश के सैलानियों को एक लघु भारत से साक्षात्कार कराता है…l

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