प्रीति शर्मा `असीम`
नालागढ़(हिमाचल प्रदेश)
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किताब-सा चेहरा रखती थी,
यादों के समंदर में बसर करती थी
मैं नींद में…
या जागा रहूँ…
वो जिंदगी के अनगिनत लम्हों को,
लफ्जों में बयान करती थी।
प्यार के कदमों के लिए,
हाथ में आसमां रखती थी
मैं कितने…
टुकड़ों में बंटा…
वो जिंदगी की टूटन का,
हर जोड़-गुणा करती थी।
जिंदगी सवालों की एक,
जद्दोजहद थी…
वो हर जवाब की बात करती थी,
वो जवाब…
जो मुझे मिले ही नहीं…!
मौत की गहराइयों में ठिठके,
वो उन्हीं सवालों की बात करती थी।
जिंदगी के हर दर्शन पर,
वो मार्गदर्शन करती थी।
किताब-सा चेहरा रखती थी,
किताब-सा चेहरा रखती थी॥
परिचय-प्रीति शर्मा का साहित्यिक उपनाम `असीम` है। ३० सितम्बर १९७६ को हिमाचल प्रदेश के सुंदर नगर में अवतरित हुई प्रीति शर्मा का वर्तमान तथा स्थाई निवास नालागढ़ (जिला सोलन, हिमाचल प्रदेश) है। आपको हिन्दी, पंजाबी सहित अंग्रेजी भाषा का ज्ञान है। आपकी पूर्ण शिक्षा-बी.ए.(कला), एम.ए.(अर्थशास्त्र, हिन्दी) एवं बी.एड. भी किया है। कार्यक्षेत्र में गृहिणी `असीम` सामाजिक कार्यों में भी सहयोग करती हैं। इनकी लेखन विधा-कविता, कहानी, निबंध तथा लेख है। सयुंक्त संग्रह-`आखर कुंज` सहित कई पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। लेखनी के लिए अनेक प्रंशसा-पत्र मिले हैं। सामाजिक संचार में भी सक्रिय प्रीति शर्मा की लेखनी का उद्देश्य-प्रेरणार्थ है। आपकी नजर में पसंदीदा हिन्दी लेखक- मैथिलीशरण गुप्त, निराला जयशंकर प्रसाद, महादेवी वर्मा और पंत जी हैं। समस्त विश्व को प्रेरणापुंज मानने वाली `असीम` के देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-‘यह हमारी आत्मा की आवाज़ है। यह प्रेम है, श्रद्धा का भाव है कि हम हिंदी हैं। अपनी भाषा का सम्मान ही स्वयं का सम्मान है।’