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किस्मत

कृष्ण कुमार कश्यप
गरियाबंद (छत्तीसगढ़)

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हाय री किस्मत ढूँढते हुए,
पागल हो गया मैं,पता दे।
कहां रहती,कैसी दिखती,
जरा हमको भी बता दे।

लोग कहते तू मिल जाए,
तो जिंदगी संवर जाती है।
दूर खड़ी हँस रही मुझ पर,
पास मेरे क्यों नहीं आती है।

नहीं मिलती हर किसी से,
पर हर दिल में आग लगाई है।
हम भी तेरे पागल आशिक,
फिर हमसे क्यों बेवफाई है।

पता नहीं तेरी सूरत कैसी,
गीत खुशियों के तू गाती है।
कहते हाथों की लकीरों में,
तू मेहंदी-सी रंग जाती है।

तेरे भरोसे सब बैठे हुए हैं,
राज़ अपना आज़ खोल दे।
कर्म के पीछे छुपकर बैठी,
आज हँस कर ज़रा बोल दे॥

परिचय-कृष्ण कुमार कश्यप की जन्म तारीख १७ फरवरी १९७८ और जन्म स्थान-उरमाल है। वर्तमान में ग्राम-पोस्ट-सरगीगुड़ा,जिला-गरियाबंद (छत्तीसगढ़) में निवास है। हिंदी, छत्तीसगढ़ी,उड़िया भाषा जानने वाले श्री कश्यप की शिक्षा बी.ए. एवं डी.एड. है। कार्यक्षेत्र में शिक्षक (नौकरी)होकर सभी सामाजिक गतिविधियों में सहभागिता करते हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,कहानी और लघुकथा है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचना प्रकाशित है। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार में साहित्य ग़ौरव सम्मान-२०१९, अज्ञेय लघु कथाकार सम्मान-२०१९ प्रमुख हैं। आप कई साहित्यिक मंच से जुड़े हुए हैं। अब विशेष उपलब्धि प्राप्त करने की अभिलाषा रखने वाले कृष्ण कुमार कश्यप की लेखनी का उद्देश्य-हिंदी भाषा को जन-जन तक पहुंचाना है। इनकी दृष्टि में पसंदीदा हिंदी लेखक- मुंशी प्रेमचंद हैं तो प्रेरणापुंज-नाना जी हैं। जीवन लक्ष्य-अच्छा साहित्यकार बनकर साहित्य की सेवा करना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“मेरा भारत सबसे महान है। हिंदी भाषा उसकी शान है।”

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