प्रेमशंकर ‘नूरपुरिया’
मोहाली(पंजाब)
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उठो!आगे बढ़ो! हमें कुछ नया करके दिखाना है,
हमें ढेरों संघर्ष करके गीत प्रगति के गुनगुनाना है।
अपनी-अपनी तखल्लुस भूल जाओ इस संसार में,
हम सबको मिलकर एक नया समाज बनाना है।
बिखेर दो खुशबू अपनी मेहनत की हर ओर तुम,
जीवन के दुःखी मधुबन में नये पुष्प खिलाना है।
हर सपने में ताकत होती है उड़ने की क्षितिज में,
‘मैं यह नहीं कर सकता’ यह तो बस बहाना है।
उठो कर्मठों! अब बो डालो धरा पर नये बीज,
हमको भविष्य के नये-नये सूरज उगाना है।
मनुष्य के सामाजिक कार्य उसका सौंदर्य होते हैं,
मानव के अवतार में हमें मानवता निभाना है।
बहिष्कार कर दो हर उस असामाजिक वस्तु का,
क्योंकि,हमें समाज में कुछ नया करके दिखाना है॥
परिचय-प्रेमशंकर का लेखन में साहित्यिक नाम ‘नूरपुरिया’ है। १५ जुलाई १९९९ को आंवला(बरेली उत्तर प्रदेश)में जन्में हैं। वर्तमान में पंजाब के मोहाली स्थित सेक्टर १२३ में रहते हैं,जबकि स्थाई बसेरा नूरपुर (आंवला) में है। आपकी शिक्षा-बीए (हिंदी साहित्य) है। कार्य क्षेत्र-मोहाली ही है। लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल और कविता इत्यादि है। इनकी रचना स्थानीय पत्र-पत्रिकाओं में छपी हैं। ब्लॉग पर भी लिखने वाले नूरपुरिया की लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक कार्य एवं कल्याण है। आपकी नजर में पसंदीदा हिंदी लेखक-मुंशी प्रेमचंद,जयशंकर प्रसाद, अज्ञेय कमलेश्वर,जैनेन्द्र कुमार और मोहन राकेश हैं। प्रेरणापुंज-अध्यापक हैं। देश और हिंदी के प्रति विचार-
‘जैसे ईंट पत्थर लोहा से बनती मजबूत इमारत।
वैसे सभी धर्मों से मिलकर बनता मेरा भारत॥
समस्त संस्कृति संस्कार समाये जिसमें, वह हिन्दी भाषा है हमारी।
इसे और पल्लवित करें हम सब,यह कोशिश और आशा है हमारी॥’