डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’
अल्मोड़ा(उत्तराखंड)
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न जानूं मैं माता,नमन तव पूजा सुमिरना।
न जानूं मैं मुद्रा,कथन भव बाधा विधि मना।
न जानूं मैं तेरा,अनुसरण माता विमलिनी।
कलेशा, संकष्टा,सकल दुख हारी कमलिनी॥
सुकल्याणी माता,विरत सत पूजा विमुख मैं।
न धर्मी-कर्मी माँ,अलस कुविचारी अपढ़ मैं।
क्षमा प्रार्थी माता,विमल मन माता करुणिका।
सदा छाया देना,सकल दुखनाशी दयनिका॥
भवानी रुद्राणी,जगत दु:ख हारी मधुमना।
शिवानी कल्याणी,भव-विभव तारी सतमना।
नहीं मैं हूँ माता,विमल मन धारी सरलता।
अधीरा कुंठा से,ग्रसित मन मेरा चपलता॥
शरण्या माता तू,सब विपति हारी कमलिनी।
दया आर्द्रा धारी,अधम मन मैं माँ विमलिनी।
कुपूता मैं माता,सरल तुम माता शिवमयी।
न मोक्षापेक्षा माँ,जगत जननी माँ सुखमयी॥
जटाधारी शंभू,जगतपति संगी दु:खहरी।
कपाली कुष्मांडा,सकल गुण धारी सुख करी।
अधर्मी अन्यायी गरल मन मैं हूँ शरणिनी।
अज्ञानी हंकारी,चरण रज माता शिखरिणी॥
नवारात्री माता,नव-नव रुपाणी नवधरी।
हिमाला पुत्री माँ दु:ख विदलिनी माँ मधुकरी।
अधीरा अन्यायी,शरण तव पावे दु:खहरे।
दया तेरी पावे,सहज मन ध्यावे सुखधरे॥
शिवानी कौमारी,शशिमुखि सुशोभा सुधरिणी।
सुशोभा धारी माँ,सकल सुख कारी विचरणी।
अनेका रूपाणी,करुण मन रूपा शिवमयी।
शिवारूपा माता,निज चरण सेवा मधुमयी॥
सुशांतीकारी माँ,सुखदयिनि माता जगत माँ।
नवारात्री पूजा,सुखदकर दात्री सुखद माँ।
छिमा देना माता,मन थिर न अम्बा दुखमना।
भवानी शैलानी,भव-जलधि तारी सुखमना॥
परिचय-डॉ.धाराबल्लभ पांडेय का साहित्यिक उपनाम-आलोक है। १५ फरवरी १९५८ को जिला अल्मोड़ा के ग्राम करगीना में आप जन्में हैं। वर्तमान में मकड़ी(अल्मोड़ा, उत्तराखंड) आपका बसेरा है। हिंदी एवं संस्कृत सहित सामान्य ज्ञान पंजाबी और उर्दू भाषा का भी रखने वाले डॉ.पांडेय की शिक्षा- स्नातकोत्तर(हिंदी एवं संस्कृत) तथा पीएचडी (संस्कृत)है। कार्यक्षेत्र-अध्यापन (सरकारी सेवा)है। सामाजिक गतिविधि में आप विभिन्न राष्ट्रीय एवं सामाजिक कार्यों में सक्रियता से बराबर सहयोग करते हैं। लेखन विधा-गीत, लेख,निबंध,उपन्यास,कहानी एवं कविता है। प्रकाशन में आपके नाम-पावन राखी,ज्योति निबंधमाला,सुमधुर गीत मंजरी,बाल गीत माधुरी,विनसर चालीसा,अंत्याक्षरी दिग्दर्शन और अभिनव चिंतन सहित बांग्ला व शक संवत् का संयुक्त कैलेंडर है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में बहुत से लेख और निबंध सहित आपकी विविध रचनाएं प्रकाशित हैं,तो आकाशवाणी अल्मोड़ा से भी विभिन्न व्याख्यान एवं काव्य पाठ प्रसारित हैं। शिक्षा के क्षेत्र में विभिन्न पुरस्कार व सम्मान,दक्षता पुरस्कार,राधाकृष्णन पुरस्कार,राज्य उत्कृष्ट शिक्षक पुरस्कार और प्रतिभा सम्मान आपने हासिल किया है। ब्लॉग पर भी अपनी बात लिखते हैं। आपकी विशेष उपलब्धि-हिंदी साहित्य के क्षेत्र में विभिन्न सम्मान एवं प्रशस्ति-पत्र है। ‘आलोक’ की लेखनी का उद्देश्य-हिंदी भाषा विकास एवं सामाजिक व्यवस्थाओं पर समीक्षात्मक अभिव्यक्ति करना है। पसंदीदा हिंदी लेखक-सुमित्रानंदन पंत,महादेवी वर्मा, सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’,कबीर दास आदि हैं। प्रेरणापुंज-माता-पिता,गुरुदेव एवं संपर्क में आए विभिन्न महापुरुष हैं। विशेषज्ञता-हिंदी लेखन, देशप्रेम के लयात्मक गीत है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति का विकास ही हमारे देश का गौरव है,जो हिंदी भाषा के विकास से ही संभव है।”