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कैसे खेलूं फाग

अंतुलता वर्मा ‘अन्नू’ 
भोपाल (मध्यप्रदेश)
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फाग आया,मचले मन उमंग,
तन में सागर उमड़े,धड़कन हुई तरंग
कैसे खेलूं फाग,जब तुम नहीं हो संग…l

सपनों में सजते,अरमानों के रंग,
कर लूं बातें प्यार की,तुझे लगा के अंग
कैसे खेलूं फाग,जब तुम नहीं हो संग…l

रंगों की बारिश में भीगूं,हो के मैं मगन,
तेरी राह निहारें,मेरे दोऊ नयन
कैसे खेलूं फाग,जब तुम नहीं हो संग…l

बाँहों में तेरी हैं,बहारों के उपवन,
साँसों में महकते हैं,अरमानों के नवरंग
कैसे खेलूं फाग,जब तुम नहीं हो संग…l

अहसासों की लहरों को देख,हो गई मैं दंग,
विरह की आग में जलूं,सपने हुए भंगl
कैसे खेलूं फाग,जब तुम नहीं हो संग…ll

परिचय-श्रीमती अंतुलता वर्मा का साहित्यिक उपनाम ‘अन्नू’ है। ११ मई १९८२ को विदिशा में जन्मीं अन्नू वर्तमान में करोंद (भोपाल)में स्थाई रुप से बसी हुई हैं। हिंदी,अंग्रेजी और गुजराती भाषा का ज्ञान रखने वाली मध्यप्रदेश की वासी श्रीमती वर्मा ने एम.ए.(हिंदी साहित्य),डी.एड. एवं बी.एड. की शिक्षा प्राप्त की है।आपका कार्यक्षेत्र-नौकरी (शास. सहायक शिक्षक)है। सामाजिक गतिविधि में आप सक्रिय एवं समाजसेवी संस्थानों में सहभागिता रखती हैं। लेखन विधा-काव्य,लघुकथा एवं लेख है। अध्यनरत समय में कविता लेखन में कई बार प्रथम स्थान प्राप्त कर चुकी अन्नू सोशल मीडिया पर भी लेखन करती हैं। इनकी विशेष उपलब्धि-चित्रकला एवं हस्तशिल्प क्षेत्र में कई बार पुरस्कृत होना है। अन्नू की लेखनी का उद्देश्य-मन की संतुष्टि,सामाजिक जागरूकता व चेतना का विकास करना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-महादेवी वर्मा,मैथिलीशरण गुप्त, सुमित्रा नन्दन पंत,सुभद्राकुमारी चौहान एवं मुंशी प्रेमचंद हैं। प्रेरणा पुंज -महिला विकास एवं महिला सशक्तिकरण है। विशेषज्ञता-चित्रकला एवं हस्तशिल्प में बहुत रुचि है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“हमारे देश में अलग-अलग भाषाएं बोली जाती है,परंतु हिंदी एकमात्र ऐसी भाषा है जो देश के अधिकांश हिस्सों में बोली जाती है,इसलिए इसे राष्ट्रभाषा माना जाता है,पर अधिकृत दर्जा नहीं दिया गया है। अच्छे साहित्य की रचना राष्ट्रभाषा से ही होती है। हमें अपने राष्ट्र एवं राष्ट्रीय भाषा पर गर्व है।

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