गोलू सिंह
रोहतास(बिहार)
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एक बार फिर सजेगी आँसूओं की सेज मेरी,
एक बार फिर रोऊँगा याद में उनकी…
क्योंकि,उनका मन ही नहीं-उनका हूँ मैं,
एक बार फिर टूट गए सारे सपने मेरे मन के।
एक बार फिर बरसात होगी,
बादल आँखों में झलक रहे हैं…
घाव बढ़ते ही जा रहे हैं इस तन के।
अपनों की भीड़ थी और मैं अपनाया नहीं गया,
एक बार फिर बँटवारे हो गएँ मेरे घर-आँगन के।
लड़कपन के दिनों की बातें बस याद रह गईं हैं,
वादे तोड़े जा चुके हैं बचपन के।
अब तो भरा-पूरा है खुद का जीवन,
कोई-कहाँ फिक्रमंद है किसी के तड़पन के।
क्योंकि उनका मन नहीं-उनका हूँ मैं,
एक बार फिर टूट गए सारे सपने मेरे मन के॥
परिचय-गोलू सिंह का जन्म १६ जनवरी १९९९ को मेदनीपुर में हुआ है। इनका उपनाम-गोलू एनजीथ्री है।lनिवास मेदनीपुर,जिला-रोहतास(बिहार) में है। यह हिंदी भाषा जानते हैं। बिहार निवासी श्री सिंह वर्तमान में कला विषय से स्नातक की पढ़ाई कर रहे हैं। इनकी लेखन विधा-कविता ही है। लेखनी का मकसद समाज-देश में परिवर्तन लाना है। इनके पसंदीदा कवि-रामधारी सिंह `दिनकर` और प्रेरणा पुंज स्वामी विवेकानंद जी हैं।