मीरा जैन
उज्जैन(मध्यप्रदेश)
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‘ओ-हो पापा ! मम्मी अभी तक नहीं आई ? पांच मिनट का काम था, पचास मिनट से भी अधिक हो गए हैं। इतनी देर में, मैं ढेर सारा सामान खरीद लाई। इतना समय तो कोई डायमंड का सेट खरीदने में भी नहीं लगाया है। यूँ तो हमेशा मम्मी हर चीज में बहुत जल्दबाजी करती है, यहाँ तक कि ड्रेसेस देखने एक से दूसरी दुकान पर जाओ, तब भी मम्मी का पारा चढ़ जाता है और आज स्वयं…?’
रोहित ने हँसते हुए जवाब दिया-
‘बेटा! तुझे तो मालूम ही है। वह साल में एक बार ही तो खरीदी में इतना ज्यादा समय लगाती है एक से दूसरी, दूसरी से तीसरी, तीसरी से चौथी…जब तक अपने भाइयों के लिए राखियाँ अच्छी तरह पसंद ना जाए।’
परिचय-श्रीमति मीरा जैन का जन्म २ नवम्बर को जगदलपुर (बस्तर)छत्तीसगढ़ में हुआ है। शिक्षा-स्नातक है। आपकी १००० से अधिक रचनाएँ अनेक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। आकाशवाणी एवं दूरदर्शन से व्यंग्य,लघुकथा व अन्य रचनाओं का प्रसारण भी हुआ है। प्रकाशित किताबों में-‘मीरा जैन की सौ लघुकथाएं (२००३)’ सहित ‘१०१ लघुकथाएं’ आदि हैं। इनकी विशेष उपलब्धि-वर्ष २०११ में ‘मीरा जैन की सौ लघुकथाएं’ हैं। आपकी पुस्तक पर विक्रम विश्वविद्यालय (उज्जैन) द्वारा शोध कार्य करवाया जा चुका है,तो अनेक भाषा में रचनाओं का अनुवाद एवं प्रकाशन हो भी चुका है। पुरस्कार में अंतर्राष्ट्रीय,राष्ट्रीय तथा राज्य स्तरीय कई पुरस्कार मिले हैं। प्राइड स्टोरी अवार्ड २०१४,वरिष्ठ लघुकथाकार साहित्य सम्मान २०१३ तथा हिंदी सेवा सम्मान २०१५ से भी सम्मानित किया गया है। २०१९ में भारत सरकार के विद्वानों की सूची में आपका नाम दर्ज है। श्रीमती जैन कई संस्थाओं से भी जुड़ी हुई हैं। बालिका-महिला सुरक्षा,उनका विकास,कन्या भ्रूण हत्या एवं बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ आदि कई सामाजिक अभियानों में भी सतत संलग्न हैं।