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खट्टी-मीठी इमली…चॉकलेट

संजय एम. वासनिक
मुम्बई (महाराष्ट्र)
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चॉकलेट की दुनिया में,
इस कदर हम गुम हो गए…
कि कैडबरी, फाईव्ह स्टार,
और किट-कैट के दिवाने हो गए…।

आज भी याद आती है,
वो लिमलेट की ठंडी गोली
वो खट्टी-मीठी संतरे की गोली…,
स्कुल के सामनेवाली
छोटी-सी दुकान की,
गली के भीड़-भाड़ वाले रास्ते पर
मिलती थी खट्टी-मीठी गोली,
आज भी शायद उस दुकान में होगी।

वैसी ही भीड़ नन्हें-नन्हें हाथों की,
नुक्कड़ के एक कोने में बैठी
बूढ़ी दादी के उबले हुए मीठे बेर और,
खट्टी-मीठी इमली बेचने वाली दादी के
थरथराते हाथों का अब वो स्वाद कहाँ ?

चमकीले रैपर में लपेटे चॉकलेट को,
वो कैडबरी, वो फाईव्ह स्टार
या उस किट-कैट को,
वो अनूठा न भूलनेवाला स्वाद।

शायद आज भी वहीं है शायद…
स्कूल के सामनेवाली दुकान में।
उसी नुक्कड़ के एक कोने में,
बैठी हुई बूढ़ी दादी के पास…॥

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