जसवंतलाल खटीक
राजसमन्द(राजस्थान)
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करवा चौथ मनाऊंगा,
मैं गीत प्यार के गाऊंगा।
मैं भी तो अपनी सजनी के,
खूब लाड़ लड़ाऊंगा॥
करवा चौथ मनाऊंगा…
जब जब उसको देखता हूँ,
मन खुश हो जाता मेरा।
जब-जब उसके पास जाऊं,
तो दिल बहल जाता मेरा।
उसके अहसासों को मैं तो,
गीत-ग़ज़ल में पिरोऊंगा॥
करवा चौथ मनाऊंगा…
जब-जब वो चलती आँगन में,
पायल शोर मचाती है।
उसके कदमों की आहट एक,
मधुर धुन बन जाती है।
उसकी पायल की झनकार का,
दीवाना मैं हो जाऊंगा॥
करवा चौथ मनाऊंगा…
उसकी जुल्फों के साये में,
अहसास निराला होता है।
नैन से जब नैनन मिलते हैं,
देख कर दिल खोता है।
उसके जन्नत से आँचल में,
चैन से मैं सो जाऊंगा॥
करवा चौथ मनाऊंगा…
सुबह-सवेरे उसका चेहरा,
सामने जब मेरे आता है।
देख कर जन्नत की सीरत,
मेरा दिन सुधर जाता है।
उसके हाथों की चाय को,
अमृत समझ पी जाऊंगा॥
करवा चौथ मनाऊंगा…
लंबी उम्र की कामना ले के,
निर्जल व्रत वो करती है।
मेरी सलामती की खातिर,
मांग में सिंदूर वो भरती है।
उसके अपरम प्यार से ही,
जीवन नैया तर जाऊंगा॥
करवा चौथ मनाऊंगा…
अर्ज करूँ मैं चंदा मामा,
दर्शन देने जल्दी आना।
मेरा चाँद है भूखा-प्यासा,
प्यास बुझाने आ जाना।
चलनी में देखेगी तुझको,
फिर प्यार से मैं खिलाऊंगा॥
करवा चौथ मनाऊंगा…
करवा चौथ मनाऊंगा,
मैं गीत प्यार के गाऊंगा।
मैं भी तो अपनी सजनी के,
खूब लाड़ लड़ाऊंगा।
करवा चौथ मनाऊंगा…॥
परिचय-जसवंतलाल बोलीवाल (खटीक) की शिक्षा बी.टेक.(सी.एस.)है। आपका व्यवसाय किराना दुकान है। निवास गाँव-रतना का गुड़ा(जिला-राजसमन्द, राजस्थान)में है। काव्य गोष्ठी मंच-राजसमन्द से जुड़े हुए श्री खटीक पेशे से सॉफ्टवेयर अभियंता होकर कुछ साल तक उदयपुर में निजी संस्थान में सूचना तकनीकी प्रबंधक के पद पर कार्यरत रहे हैं। कुछ समय पहले ही आपने शौक से लेखन शुरू किया,और अब तक ६५ से ज्यादा कविता लिख ली हैं। हिंदी और राजस्थानी भाषा में रचनाएँ लिखते हैं। समसामयिक और वर्तमान परिस्थियों पर लिखने का शौक है। समय-समय पर समाजसेवा के अंतर्गत विद्यालय में बच्चों की मदद करता रहते हैं। इनकी रचनाएं कई पत्र-पत्रिकाओं में छपी हैं।