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करवाचौथ

सुशीला रोहिला
सोनीपत(हरियाणा)
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करवाचौथ व्रत है निराला,
‘करवा’ देता सीख महान
सेवा प्रेम भक्ति का जल,
चित्त में समाए,
सदगुरु भेद बताएँ
आत्म पति का हो ध्यान लगाएं,
करवाचौथ व्रत का विधान।

चौथ है चार क्रियाओं का ज्ञान,
जो नर-नारी जाने वो महान
परमप्रकाश है पति का रूप,
अनहद नाद का है स्वर
अमृत का कर पान,
आत्म पति दीर्घायु महान
सुमिरण निरन्तर का हो ज्ञान,
सुरता है सदा सुहागन नार।

आत्म पति है सभी का,
सूरत-निरत का कर मेल
जीवन-व्रत सफल हो हमारा,
आत्मा पति कभी मरने ना पाए
सदा सुहागन रहे सुरतिया नार,
यह व्रत सती-सावित्री ने ध्याया
पति का प्राण उबारा,
यमराज भी हारा
सत्यवान पुनः जीवित हो,
मरने पर दोबारा॥

परिचय-सुशीला रोहिला का साहित्यिक उपनाम कवियित्री सुशीला रोहिला हैl इनकी जन्म तारीख ३ मार्च १९७० और जन्म स्थान चुलकाना ग्राम हैl वर्तमान में आपका निवास सोनीपत(हरियाणा)में है। यही स्थाई पता भी है। हरियाणा राज्य की श्रीमती रोहिला ने हिन्दी में स्नातकोत्तर सहित प्रभाकर हिन्दी,बी.ए., कम्प्यूटर कोर्स,हिन्दी-अंंग्रेजी टंकण की भी शिक्षा ली हैl कार्यक्षेत्र में आप निजी विद्यालय में अध्यापिका(हिन्दी)हैंl सामाजिक गतिविधि के तहत शिक्षा और समाज सुधार में योगदान करती हैंl आपकी लेखन विधा-कहानी तथा कविता हैl शिक्षा की बोली और स्वच्छता पर आपकी किताब की तैयारी चल रही हैl इधर कई पत्र-पत्रिका में रचनाओं का प्रकाशन हो चुका हैl विशेष उपलब्धि-अच्छी साहित्यकार तथा शिक्षक की पहचान मिलना है। सुशीला रोहिला की लेखनी का उद्देश्य-शिक्षा, राजनीति, विश्व को आतंकवाद तथा भ्रष्टाचार मुक्त करना है,साथ ही जनजागरण,नारी सम्मान,भ्रूण हत्या का निवारण,हिंदी को अंतर्राष्ट्रीय भाषा बनाना और भारत को विश्वगुरु बनाने में योगदान प्रदान करना है। लेखन में प्रेरणा पुंज-हिन्दी है l आपकी विशेषज्ञता-हिन्दी लेखन एवं वाचन में हैl

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