कुल पृष्ठ दर्शन : 1180

You are currently viewing गुलाब-सा दिल

गुलाब-सा दिल

उमेशचन्द यादव
बलिया (उत्तरप्रदेश) 
***************************************************

गुलाब देकर के आजमाना, आसान होता है,
बिन परखे पारखी बाद में, परेशान होता है।

ये गुलाब ही तो है, जो गुल को घोल देता है,
बिन कहे ये मन की बातें, बोल देता है।

सम्हाल ले गुलाब जो, काबिल वो दिल के होता है,
गुलाब-सा ही दिल में भी, सुगंध मस्त सोता है।

‘उमेश’ दिल की बात भी, गुलाब जैसी होती है,
समझ लिया वो खिल गया, समझ ही मुख्य होती है।

गुलाब ही वो सेतु है, दो किनारे जो मिलता है,
उदासी भरे जीवन को, ये फूल-सा खिलाता है।

काँटे भी गुलाब में, सुरक्षा हेतु आते हैं,
घटी जो सावधानी तो, उंगली में चुभ जाते हैं।

रिश्ता भी दिल का फूल-सा, सम्हल के खिल जाता है,
आया जो स्वार्थ बीच में, तो मिट्टी में मिल जाता है।

कहे ‘उमेश’ अब फूल से, कोमल सुगंध-सा नाता है,
नि:स्वार्थ भाव जो प्रेम करे, वह प्रेम अमर बन जाता है॥

परिचय–उमेशचन्द यादव की जन्मतिथि २ अगस्त १९८५ और जन्म स्थान चकरा कोल्हुवाँ(वीरपुरा)जिला बलिया है। उत्तर प्रदेश राज्य के निवासी श्री यादव की शैक्षिक योग्यता एम.ए. एवं बी.एड. है। आपका कार्यक्षेत्र-शिक्षण है। आप कविता,लेख एवं कहानी लेखन करते हैं। लेखन का उद्देश्य-सामाजिक जागरूकता फैलाना,हिंदी भाषा का विकास और प्रचार-प्रसार करना है।