अजय जैन ‘विकल्प’
इंदौर(मध्यप्रदेश)
******************************************
जिंदगी ऐसे ही चलती है।
हर दिन हाथ से फिसलती है॥
जो सोचता हूँ, वह रह जाता है,
समय का पहिया कुछ कह जाता है।
फिर उठता हूँ हौंसले से, तो वह मिलती है।
जिंदगी ऐसे…॥
एक दिन तो मेरा भी आएगा, यकीं है वक़्त खिल जाएगा।
हूँ इंतजार में कि, खुशी की कब खिलती है,
जिंदगी ऐसे…॥
गम के बादल हैं तो क्या हुआ!
आएगा सुख का भी कोई पर्वत नया।
आना-जाना तो है दस्तूर यहाँ,
उम्मीद की चकरी ऐसे ही चलती है।
जिंदगी ऐसे…ही चलती है॥