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चाँद तुम महफ़ूज़ हो…

ऋचा सिन्हा
नवी मुंबई(महाराष्ट्र)
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चाँद तुम महफ़ूज़ हो,बादलों की गोद में,
करवा चौथ,ईद का चाँद औ अपनी मोद में।

ना तुम्हारे कोई घूँघट,ना कोई चिलमन,
चाँदनी संग रास रचाते,छुपते ग्रहण बन।

ना तुम्हारा धर्म है,और न कोई मज़हब,
ख़ुशबू बन बिखरे हुए,मोहब्बतों में ग़ज़ब।

गीत-ग़ज़लों में खिले,और कवियों की शान,
तुमको अपनी सूरत पर,इतना क्यूँ गुमान।

अच्छा है जो यहाँ नहीं,टुकड़ों में बँट जाते,
फिर कचहरी के चक्कर,जीवन भर लगाते॥

परिचय – ऋचा सिन्हा का जन्म १३ अगस्त को उत्तर प्रदेश के कैसर गंज (जिला बहराइच) में हुआ है। आपका बसेरा वर्तमान में नवी मुम्बई के सानपाड़ा में है। बचपन से ही हिंदी और अंग्रेजी साहित्य में रुचि रखने वाली ऋचा सिन्हा ने स्नातकोत्तर और बी.एड. किया है। घर में बचपन से ही साहित्यिक वातावरण पाने वाली ऋचा सिन्हा को लिखने,पढ़ने सहित गाने,नाचने का भी शौक है। आप सामाजिक जनसंचार माध्यमों पर भी सक्रिय हैं। मुम्बई (महाराष्ट्र)स्थित विद्यालय में अंग्रेज़ी की अध्यापिका होकर भी हिंदी इनके दिल में बसती है,उसी में लिखती हैं। इनकी रचनाएँ विभिन्न पत्रिकाओं में छप चुकीं हैं,तो साझा संग्रह में भी अवसर मिला है।

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