गोवर्धन दास बिन्नाणी ‘राजा बाबू’
बीकानेर(राजस्थान)
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‘मैं और मेरा देश’ स्पर्धा विशेष……..
अनेक विविधताओं से भरे हुए मेरे प्यारे भारत देश की संस्कृति बहुरंगी है क्योंकि यहाँ हिन्दू, मुसलमान,ईसाई,सिख,जैन,बौद्ध आदि विभिन्न संप्रदायों के लोग रहते ही नहीं,बल्कि सभी अपने अपने धर्म के अनुसार रीति-रिवाज,पहनावा,खान-पान और मान्यताओं के अनुसार व्यवहार करते हुए एक राष्ट्र के संविधान में आस्था रखते हैं। इससे यह स्पष्ट परिलक्षित होता है कि भारतीयता हम सबमें विद्यमान है।
जहाँ एक तरफ हम जनाधिक्य,अशिक्षा, बेरोजगारी,आतंकवाद और राजनीतिक तुष्टिकरण की समस्याओं से ग्रसित हैं,वहीं कुछ लोग हमारे संविधान का गलत लाभ उठाते हुए हमारी प्राचीन मान्यताओं और संस्कृति पर चोट पर चोट किए जा रहे हैं,आतंकवाद को राजनीतिक संरक्षण दिए जा रहे हैं। इसलिए हमारा दायित्व बनता है कि हम ऐसे लोगों की मानसिकता को उजागर करते रहने के साथ-साथ प्रजातांत्रिक स्वरूप को बनाए रखने के लिए अपनी सकारात्मक भूमिका अदा करते रहें। हमें ऐसा कोई भी काम नहीं करना है,जिसके चलते देश की छवि जरा-सी भी धूमिल हो।
यह सर्वविदित है कि विश्व की उभरती आर्थिक ताकत के रूप में उभर रहा हमारा देश प्रगति के पथ पर अग्रसर है। मतलब भारत में विदेशी पूंजी निवेश बढ़ रहा है। देश अधोसंरचना और सेवा-सुविधाओं के मामले में आगे बढ़ रहा है। यह सब नागरिकों द्वारा चुकाये जाने वाले कर से ही तो सम्भव हो रहा है। इसलिए जैसा हम हमेशा चर्चा में सुनते हैं कि हमारे यहाँ बेशुमार कालाधन है तो उस ओर भी हम सभी को सजग रहना है।
हम अवकाश प्राप्त लोगों का दायित्व है कि युवाओं को हम शिक्षित करें,ताकि सरकार ने बेरोजगारी दूर करने यानि युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए जो योजनाएं चालू की हैं,उनकी पूरी व सही जानकारी उन्हें हो पाए।
इसी तरह हम में से जो भी शिक्षा क्षेत्र से अवकाश प्राप्त हैं,उन्हें अशिक्षा को दूर करने के लिए एक जिम्मेदार नागरिक की भूमिका निभाते हुए विद्यालयों में अपनी सेवा देते हैं तो अशिक्षा को दूर करने में तो उनकी भूमिका नमन योग्य होगी ही, साथ ही उन्हें परोक्ष रूप से सक्रिय जीवन जीने का लाभ भी स्वतः ही प्राप्त होगा।
सरकार ने ‘स्वच्छ भारत अभियान’ शुरू किया हुआ है जिसके तहत एक प्रचारक के रूप में इसका हिस्सा बनकर हम अपने साथियों को दैनिक कार्यों में से कुछ घंटे निकालकर स्वच्छता संबंधी कार्य करने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं,ताकि कचरा मुक्त वातावरण बना पाएं।
आसपास की सफाई के अलावा सभी साथियों की सहभागिता से अधिक-से अधिक पेड़ लगाना, शौचालय की सुविधा उपलब्ध कराकर एक स्वच्छ भारत का निर्माण करना है,क्योंकि अस्वच्छ भारत की तस्वीरें भारतीयों के लिए अक्सर शर्मिंदगी की वजह बन जाती है। इसलिए देश की छवि सुधारने में हम सभी का एक सकारात्मक भूमिका निभाना पावन कर्तव्य है।
ऐसे अनेक क्षेत्र हैं जहाँ हमें अपनी सकारात्मक भूमिका,स्वयं की सुविधा,समय का ध्यान रख निभाने का पूरा प्रयत्न करते रहना है,ताकि हमारे देश को सच्चे अर्थों में एक महान देश बनाने में अपना ज्यादा से ज्यादा योगदान दें सकें। यही तथ्य इस बार ओलिम्पिक खेलों में स्पष्ट परिलक्षित हुआ है। जब शानदार प्रदर्शन पश्चात पूर्व धावक अंजू बॉबी जॉर्ज के अलावा अन्य भूतपूर्व खिलाड़ियों ने सभी विजेताओं को बधाई देते हुए जो बयान जारी किए हैं,उसका सार यही है कि प्रधानमन्त्री ने ओलिम्पिक में भागीदारी निभाने वाले प्रत्येक खिलाड़ी से समय-समय पर बात कर उन सभी का जिस तरह से हौंसला बढ़ाया,वह यही दर्शाता है कि हमारी सरकार विश्व स्तरीय खिलाड़ी तैयार करने के लिए पूरी निष्ठा एवं ईमानदारी से संगठित एवं संचालित योजनाएं एवं कार्यक्रम बनाकर खिलाड़ियों को प्रोत्साहित कर रही हैं। इस तरह न केवल खिलाड़ी बल्कि अन्य लोग भी जो खेलों से जुड़े हैं,वे अपना अपना योगदान देश को गौरवान्वित करने में दे रहे हैं।
याद रखें-सच्चे नागरिक को अपने देश से ही नहीं बल्कि उससे जुड़ी हर वस्तु से प्यार होता है और उसके प्रति समर्पित भाव होता है।
याद दिलाना चाहता हूँ कि हमारा देश गुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ था,तब ऐसे अनेक लोग थे जिन्होंने आजादी दिलाने के लिए अपने प्राण तक न्योछावर कर दिए थे॥ इसलिए हमें भी अपनी मातृभूमि के लिए कुछ भी कर गुजरने की तमन्ना रखनी चाहिए,क्योंकि अच्छे,ईमानदार व कर्मठ नागरिक ही देश को शक्ति संपन्न,समृद्ध व संगठित बनाते हैं। याद रखें एक आदर्श नागरिक स्वेच्छा से अनुशासन का पालन ही नहीं करता है,बल्कि वह देश के कायदे-कानूनों का पूरी पूरी निष्ठा से निर्वहन भी करता है। हमें बिना स्वार्थी हुए राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों को समझना चाहिए।
सभी के ध्याननार्थ कि,त्रेतायुग वाला श्लोक (जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी) आज भी बहुत ही प्रासंगिक है क्योंकि यह हमें याद दिलाता है कि माता (जननी) और मातृभूमि का स्थान स्वर्ग से भी ऊपर है। इसलिए हम सभी का मातृभूमि के लिए,वह सब करना कर्तव्य बनता है,जो हम अपनी जननी के लिए करते हैं।