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जनरल बोगी

डॉ. बालकृष्ण महाजन
नागपुर ( महाराष्ट्र)
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रेल की जनरल बोगी,
आपने भोगी या न भोगी, मैंने भोगी
बात सन पचपन की है, हम पैदा भी नहीं हुए थे, पर
दादा-परदादा से सुना था, भैय्या उस समय दिन में एक ही गाड़ी चलती थी।

आरक्षित कम डिब्बे, जनरल अधिक थी,
गाड़ी जब स्टेशन पर आती थी
प्लेटफार्म नहीं के बराबर था,
फिर कम समय में दादा- परदादा पूरे परिवार को
खिड़कियों से ठूंस-ठूंस कर हमें डिब्बे में फेंक देते थे।

बाद में बोगी के अंदर आने पर,
पूरे परिवार की गिनती लगाते थे
अब भैय्या आज का माहौल,
बिल्कुल ही अलग है।

हमें भी जाना था अचानक-
ससुराल पक्ष से किसी के दुखद निधन का समाचार
मिलते ही
आरक्षण न मिलने पर जनरल बोगी में,
हमने यात्रा करने का ठान लिया।

श्रीमती को तो महिला कोटे में
आरक्षण मिल गया,
बुरी तरह हम ही फंस गए
श्रीमती की आँखों में देखा,
इशारा कुछ अलग ही देखा
और हम पूरी ताक़त
लगाकर आखिर कैसे-वैसे, रेलवे की जनरल बोगी में ठस गए,
बुरे फंस गए।

ऐसी जल्दबाजी में किसी के टिफिन की सब्जी का तीखा रसा,
ऊपर से मेरे शर्ट पर टपक रहा था
डिब्बे का वातावरण पूरा दुर्गंध युक्त हो गया।

लगा कि, अब अगर आक्सीजन नहीं मिली,
तो जान दो मिनट में जाएगी
पर स्टेशन आने से,
थोड़ी खिड़की के पास जगह मिली
राहत मिली।

पर, किसी ने पीछे से मेरी जेब से कुछ निकाला,
भीड़-भाड़ के कारण कुछ नहीं कर पाया
अगले स्टेशन पर उतरना ही था,
उतरने पर पता चला, जेब कट गई है।

तब क्या!
पैदल ही ससुराल पहुंच गए।
फिर कभी रेलवे की जनरल, बोगी में यात्रा न करने कसम खाई॥

परिचय- नागपुर (महाराष्ट्र) निवासी डॉ. बालकृष्ण रामभाऊ महाजन की जन्म तारीख १० अक्टूबर १९६१ और जन्म स्थान नागपुर है। आप वर्तमान में नागपुर स्थित सुरेंद्र नगर में स्थाई तौर पर निवासरत हैं। एम.ए. (मराठी, हिंदी, अर्थशास्त्र), एम.फिल. (हिन्दी), पीएच-डी. (हिन्दी) शिक्षित और साहित्य रत्न प्राप्त डॉ. महाजन का कार्य क्षेत्र मध्य रेलवे (नागपुर से सेवानिवृत्त) रहा है। इनकी सामाजिक गतिविधियाँ लेखन (गीत, ग़ज़ल, लेख, व्यंग्य कविता, कहानी, नुक्कड़ नाटक आदि) है तो १० पुस्तक प्रकाशित हो चुकी हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएँ लगातार प्रकाशित हैं। प्राप्त सम्मान पुरस्कार के नाते वर्ष २०१८ में हिन्दी साहित्य अकादमी
(महाराष्ट्र) से नुक्कड़ नाटक ‘आओ मिलकर भारत जोड़ें’ को २५ हजार ₹ एवं सम्मान, २०२३ में ‘आओ अपना देश संवारें’ नुक्कड़ नाटक को अकादमी (महाराष्ट्र) द्वारा स्वर्ण पदक, ३५ हजार ₹ एवं सम्मान, २०२३ में साहित्य गंगा अकादमी (जलगांव) और २०२४ में युगधारा फाउंडेशन (उप्र) से व्यंग्य कहानी संग्रह ‘आप मेरे सब कुछ’ को ११०० ₹ व सम्मान मिला है। विशेष उपलब्धि १२२ बार रक्तदान करना है। नाटक लेखन में प्रवीण डॉ. महाजन ने यू-ट्यूब पर ६० लघु नाटिकाओं का लेखन, निर्देशन और अभिनय भी किया है। इनकी लेखनी का उद्देश्य सम-सामयिक विषयों पर समाज में जनजागरण का प्रयास करना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक प्रेमचंद को मानने वाले डॉ. महाजन का लक्ष्य साहित्य अकादमी (दिल्ली) एवं ज्ञान पीठ पुरस्कार पाना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार- ‘विश्व भाषा के रूप में हिंदी को प्रथम स्थान मिले, यही कामना है।’