कुल पृष्ठ दर्शन : 302

You are currently viewing ज़ख्म इश्क़ का

ज़ख्म इश्क़ का

श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
*******************************************

वह आफताब अनजान मुसाफिर,
दिल में एक रोज आया था
ना चाहते हुए भी सखी को,
प्यार का ख्वाब दिखाया था।

सुनसान दिल के बागों में रंगीन,
खुशी का फूल बिछाया था
नित्य नई प्रेम कहानी वो अजनबी,
चुपके-चुपके मुझे सुनाया था।

मैं तो मन की भोली-भाली बावरी,
खो गई अजनबी के प्यार में
ढल गई उम्र, हो गई हूॅ॑ पचपन की,
प्यारे परदेसी के इन्तज़ार में।

दिल में गहरा जख्म देकर गया है,
आफताब परदेसी अजनबी
क्या मिला तुझे, जो जख्म दे गया है,
क्या मिला बताओ अजनबी!

दिल में रखा था तुझको हमने,
बदले तुमने जो जख्म दिया है।
मेरे अजनबी प्यारे परदेसी तुमने,
ज़ख्म इश्क़ का गहरा दिया है॥

परिचय– श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है |

Leave a Reply