भोपाल (मध्यप्रदेश)
ज़िंदगी का फलसफा यूँ ही चलता रहा,
कोई आया तो कोई आकर जाता रहा।
कुछ वक्त ठहरा तो कुछ वक्त जाता रहा,
तो कोई कहीं टकरा कर संभालता रहा।
इस सफ़र के मंजर से कोई वाकिफ तो कोई अनजान रहा,
कोई साथ खुशी के झूमा तो कोई परेशान रहा।
कभी धरती गीली तो कभी खुला आसमान रहा,
आते-जाते लोगों में कोई राहगीर तो कोई साथी रहा।
संभल कर चले ठोकरों से जंग ए ज़िंदगी में,
कहीं नाम तो कहीं नामो-निशान ना रहा॥
परिचय–तृप्ति तोमर पेशेवर लेखिका नहीं है,पर प्रतियोगी छात्रा के रुप में जीवन के रिश्तों कॊ अच्छा समझती हैं। यही भावना इनकी रचनाओं में समझी जा सकती है। साहित्यिक उपनाम-तृष्णा है। जन्मतिथि १६ नवम्बर एवं जन्म स्थान-विदिशा (मप्र) है। वर्तमान में भोपाल के जनता नगर-करोंद में निवास है। प्रदेश के भोपाल से ताल्लुक रखने वाली तृप्ति की लेखन उम्र तो छोटी ही है,पर लिखने के शौक ने बस इन्हें जमा दिया है। पीजीडीसीए व एम. ए. शिक्षित होकर फिलहाल डी.एलएड. जारी है। यह अधिकतर कविता लिखती हैं। एक साझा काव्य संग्रह में रचना प्रकाशन और सम्मान हुआ है। कुछ स्पर्धा में प्रथम भी आ चुकी हैं।