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जिंदगी दोस्ती है

ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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मौज है दोस्त है मस्ती है,
आज भी जिंदगी दोस्ती है।

बूंद बारिश ग़ज़ल चाय-कॉफी,
इनपे बेख़ुदी की सरपरस्ती है।

इक नदी की रवानी जवानी,
जोश-ओ-होश की कश्ती है।

ख़्वाब का शहर दिल वादियों में,
इक अकेला बसा हस्ती है।

कुछ न हो मोहब्बत के अलावा,
क्या ऐसी भी बता बस्ती है।

बहुत महँगी सुनो इस जहां में,
जान की कीमत महज सस्ती है।

दिल कभी दिल को इक खिलौना,
समझे जो वो मौकापरस्ती है।

नाम आवारगी का सफर कर,
चंद करते मटरगस्ती है।

कर निसार सब कुछ न जताना,
प्यार है ये, नहीं जबरजस्ती है॥

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।