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जुबां को तलवार कर दिया…

प्रदीपमणि तिवारी ध्रुव भोपाली
भोपाल(मध्यप्रदेश)
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पहले तो खुद के इश्क में बीमार कर दिया।
अपनी जुबां को बाद में तलवार कर दिया।

ऐसी लगाई लत कि तलबगार हो गये,
फिर बोल कड़वे दिल को छार-छार कर दिया।

ये दोस्ती भी रब की इनायत समझ लें हम,
करते हैं छल-फ़रेब अब व्यापार कर दिया।

मानिन्द अपने हो कर भी करते हैं वार वो,
ऐसा चुभाया तीर दिल के पार कर दिया।

जब खुद चले थे राह पर तो फूल थे मगर,
अपने चले जब संग राहे ख़ार कर दिया॥

उल्फत हुई थी दोस्ती दिन-रात की मग़र,
दिल के क़रीब आ गये तो वार कर दिया।

जब-जब हमारी दोस्ती परवान ‘ध्रुव’ चढ़ी,
ज़ेहादियों ने यार संगसार कर दिया॥

परिचय–प्रदीपमणि तिवारी का लेखन में उपनाम `ध्रुव भोपाली` हैl आपका कर्मस्थल और निवास भोपाल (मध्यप्रदेश)हैl आजीविका के लिए आप भोपाल स्थित मंत्रालय में सहायक के रुप में कार्यरत हैंl लेखन में सब रस के कवि-शायर-लेखक होकर हास्य व व्यंग्य पर कलम अधिक चलाते हैंl इनकी ४ पुस्तक प्रकाशित हो चुकी हैंl गत वर्षों में आपने अनेक अंतर्राज्यीय साहित्यिक यात्राएँ की हैं। म.प्र.व अन्य राज्य की संस्थाओं द्वारा आपको अनेक मानद सम्मान दिए जा चुके हैं। बाल साहित्यकार एवं साहित्य के क्षेत्र में चर्चित तथा आकाशवाणी व दूरदर्शन केन्द्र भोपाल से अनुबंधित कलाकार श्री तिवारी गत १२ वर्ष से एक साहित्यिक संस्था का संचालन कर रहे हैं। आप पत्र-पत्रिका के संपादन में रत होकर प्रखर मंच संचालक भी हैं।

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